छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

ई-लोक अदालत से पक्षकारों के लंबित करीब तीन सौ न्यायालयीन प्रकरण हुए खत्म

DURG:-राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के द्वारा शनिवा 11 जुलाई को देश के पहले ई-लोक अदालत का शुभारंभ प्रात: 10:30 बजे वीडियों कान्फ्रेसिंग के माध्यम से किया गया। विडियों कान्फ्रेसिंग के माध्यम से शुभारंभ हुए कार्यक्रम को रामजीवन देवागंन कार्यवाहक जिला न्यायाधीश/अघ्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देश पर न्यायाधीशगण विडियो कान्फ्रेसिंग रूप में उपस्थित हुए।

पहले ई-लोक अदालत के गठित खण्डपीठ की जानकारी एवं लोक अदालत में रखे गए प्रकरणों की जानकारी पक्षकारों/अधिवक्ताओं को दूरभाष पर दी गई। पक्षकारों एवं अधिवक्ताओं को न्यायालय में बिना उपस्थित हुए जिटसी एप एवं अन्य एप के माध्यम से खंडपीठ क पीठासीन अधिकारी से जोड़कर आपसी सहमती से प्रकरण को राजीनामा के आधार पर समाप्त किया गया। आज न्यायालय परिसर में बिना भीड़ लगे। कुल 293 प्रकरण को सफलतापूर्वक निराकृत किए जाने में अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई। ई-लोक अदालत को सफल बनाये जाने में खंडपीठ के पीठासीन न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता सदस्यगण, अधिवक्ता, पक्षकारों, कर्मचारियों ने सहयोग प्रदान किया।

ई-लोक अदालत में कुल-14 खंडपीठ का गठन किया गया। लोक अदालत में कुल 415 प्रकरण सुनवाई हुए रखे गए थे जिनमें से कुल 294 न्यायालयीन प्रकरण निराकृत हुए। 137 दांडिक प्रकरण, 11 सिविल प्रकरण, 26 मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, 97 चेक अनादरण, 14 विद्युत प्रकरण, 08 पारिवारिक मामले, 01 श्रम मामले, निराकृत हुए। कुल समझौता राशि- 5,39,97,329/- रुपए रही।

परिवारजनों को मिला 15 लाख रुपए का मुआवजा- रामजीवन देवागंन द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय के खंडपीठ क्रमांक-01 में 24 फरवरी 2019 को हुए मोटर सायकल एवं स्कार्पियों वाहन के मोटर दुर्घटना के एक मामले में मृतक रतनेश ठाकुर की मृत्यु पर थाना उतई में दर्ज किए गए प्रकरण पर मृतक के पत्नि, बच्चों एवं मॉ के द्वारा एक क्लेम प्रकरण प्रस्तुत किया गया था जिसमें आज बीमा कंपनी एवं पक्षकारों के मध्य बिना न्यायालय में उपस्थित हुए 15 लाख रुपए में राजीनामा वीडियों कान्फ्रेसिंग के माध्यम से बिना न्यायालय में उपस्थित हुए किया गया।

पति-पत्नि के तीन मामलों का हुआ निपटारा- यशंवत वासनिकर प्रथम प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय दुर्ग के खंडपीठ में पति-पत्नि के कुल 03 प्रकरण सुनवाई हुए रखे गए थे जिस पर पति एवं पत्नि की उपस्थिति वीडियों कान्फ्रेसिंग के माध्यम से करते हुए आपसी समझौते पर पति एवं पत्नि ने समझाईश के आधार पर राजीनामा बिना न्यायालय में उपस्थित हुए किया गया। 1. विवाह विच्छेद का प्रकरण वापस लिया। 2. भरण पोषण के मामले में एक निश्चित राशि पति द्वारा पत्नि को दिए जाने हेतु तैयार हुआ। 3. दांपत्य जीवन से उत्पन्न नाबालिक पुत्र के विधिक संरक्षण बाबत् दंपति में रखने के साथ ही समय-समय पर पिता/दादा/दादी के साथ पुत्र, को मिलने को तैयार हुए।

कोरोना अवधि में न्यायिक कामकाज प्रभावित होने से न्यायालयीन प्रकरण निराकृत नहीं हो पा रहे थे। ई-लोक अदालत के माध्यम से पक्षकारों को घर बैठे सीधे खंडपीठ से जुडने में सहायता मिली।

Related Articles

Back to top button