नौसेना ने ज़ब्त की बैंक गारंटी
नई दिल्ली: भारतीय नौसेना ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस नेवल इंजीनियरिंग लिमिटेड (आरएनईएल) के साथ हुए एक सौदे के तहत आपूर्ति में हुई देरी के चलते दंडात्मक कार्रवाई की है. नौसेना ने 2,500 करोड़ रुपये के इस सौदे में आरएनईएल की बैंक गारंटी को भुना लिया है.
इस सौदे के तहत आरएनईएल द्वारा भारतीय नौसेना को 5 ऑफशोर पेट्रोल व्हीकल्स (समुद्री गश्ती नौका- ओपीवी) की आपूर्ति की जानी थी, जिसमें से अब तक दो ओपीवी ही नौसेना को दिए गए हैं. जरूरत से ज्यादा देरी के लिए नौसेना ने यह कार्रवाई की है. नौसेना ने यह भी कहा है कि वह इस करार की जांच कर रही है.
सोमवार को वार्षिक नौसेना दिवस पर नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा एक संवाददाता सम्मेलन में थे, जब उनसे रिलायंस द्वारा आपूर्ति में की गई देरी के बारे में सवाल किया गया.
इस पर उन्होंने कहा, ‘आरएनईएल को कोई तरजीह नहीं दी गयी है… उसकी बैंक गारंटी को भुना लिया गया है. उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है. इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है.’
बैंक गारंटी आमतौर पर कई कारणों जैसे किसी ऑर्डर में देरी, उसके रद्द होने या खराब प्रदर्शन के चलते भुनाई जाती हैं, हालांकि इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं.
सूत्रों के अनुसार इस सौदे में बैंक गारंटी कुल अनुबंध राशि का 10 प्रतिशत है, हालांकि नौसेना द्वारा बैंक गारंटी की राशि के बारे में कोई जानकारी नहीं गई है.
एडमिरल लांबा से यह भी सवाल किया गया कि क्या कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने के लिए किसी तरह का दबाव डाला गया है, जिस पर एडमिरल लांबा ने कहा कि यह सौदा अभी रद्द नहीं किया गया है.
लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि इस पर गौर किया जा रहा है. उनका संकेत था कि इस मुद्दे पर अंतिम फैसला सरकार करेगी.
नौसेना प्रमुख के बयान पर आरएनईएल से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं मिली है. द वायर की ओर से इस बारे में रिलायंस नेवल के प्रवक्ता से संपर्क किया गया है, उनका जवाब आने पर उसे खबर में जोड़ा जायेगा.
मालूम हो कि नौसेना के लिए पांच ओपीवी की आपूर्ति का यह सौदा नौसेना के ‘पी-21’ प्रोजेक्ट का हिस्सा है. 2500 करोड़ रुपये का यह मूल करार पीपावाव डिफेंस एंड ऑफशोर इंजीनियरिंग को 2011 में मिला था.
अनिल अंबानी समूह ने 2016 में इस कंपनी का अधिग्रहण कर लिया था. मूल अनुबंध के तहत पहले ओपीवी की आपूर्ति 2015 के शुरू में की जानी थी. हालांकि, इस समयसीमा को कई बार बढ़ाया जा चुका है.
जुलाई 2017 में काफी तकनीकी देरी के बाद पहले दो ओपीवी नौसेना को मिले. इस बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं है कि बाकी के 3 ओपीवी की आपूर्ति कब तक होगी.
पिछली कई वित्तीय तिमाहियों में आरएनईएल की वित्तीय हालत पर सवाल उठ चुके हैं. एडमिरल लांबा ने भी यह बताया कि कंपनी फिलहाल कॉरपोरेट ऋण पुनर्गठन की प्रक्रिया में है.
वित्त-वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में कंपनी द्वारा दिखाए गए 409 करोड़ रुपये के घाटे के बाद ,अप्रैल 2018 में कंपनी के स्वतंत्र ऑडिटर्स ने अनिल अंबानी की इस कंपनी के ‘सतत रूप से चलते रहने की क्षमता’ पर सवाल उठाये थे.
सितंबर 2018 में ख़त्म हुई तिमाही में इसने कुल 363.13 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया है. घाटे का यह आंकड़ा सितंबर 2017 में 150.67 करोड़ रुपये का था.
पिछले कुछ महीनों में कंपनी कुछ सरकारी और निजी बैंकों द्वारा एनपीए घोषित होते-होते बची है, साथ ही आईडीबीआई बैंक जैसे देनदाताओं द्वारा दिवालिया अदालतों में घसीटी जा चुकी है.
पिछले काफी समय से अनिल अंबानी समूह की कई कंपनियां कर्ज और अदालतों के घेरे में हैं. बीते अक्टूबर में स्वीडन की टेलीकॉम कंपनी एरिक्सन ने अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) द्वारा बकाया न चुकाए जाने पर देश की शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
कंपनी ने आरकॉम पर जान-बूझकर 550 करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने का आरोप लगाते हुए अदालत से अनिल अंबानी और आरकॉम के अधिकारियों के भारत छोड़ने पर रोक लगाने की मांग की थी.
वहीं अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस 58,000 करोड़ रुपये के राफेल जेट लड़ाकू विमान सौदे को लेकर विवादों के घेरे में है. कांग्रेस ने मोदी सरकार पर कंपनी का पक्ष लेने का आरोप लगाया है. हालांकि, कंपनी के साथ ही मोदी सरकार भी इन आरोपों का खंडन कर चुकी है.