खास खबर

एक ऐसी दरगाह जहां पर बिच्छू के डंक से भी नही मरता इन्सान, A dargah where a person does not die from scorpion stings

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले रखा है और कोरोना से बचाव को लेकर आम से लेकर खास तक सभी तरह का एहतियात बरत रहे हैं तो वही पर धार्मिक स्थलों पर भी कोरोना संक्रमण से बचाव केपूरे  इंतजाम की जा रही है। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के अमरोहा में स्थित सैयद शरफुद्दीन शाह विलायत की दरगाह की, जहां बिच्छू जायरीन को डंक नहीं मारते हैं। कहा जाता है कि यहां आने वाले जायरीन सूफी की इजाजतसे बिच्छू को निश्चित वक्त के लिए अपने घर ले जा सकते हैं, लेकिन समयसीमा खत्म होने से पहले उन्हें दरगाह को लौटाना होता है। दरगाह के खादिम फुरकान आलम सिद्दकी बताते हैं कि शाह वियालत 1272 में इराक से यहां आये थे। गांव में शाह नसरूद्दीन नाम के एक अन्य सूफी भी थे। शाह नसरूद्दीन ने शाह विलायत से कहा कि इलाके में बहुत सारे बिच्छू और सांप हैं, जो उन्हें यहां रहने नहीं देंगे। इस पर शाह विलायत ने जवाब दिया कि मेरे स्थान पर वे किसी को नहीं डंक नहीं मारेंगे। तभी से वे किसी को डंक नहीं मारते हैं। यह एक चमत्कार है आप बाहर से भी जहरीला बिच्छू ले आइए, लेकिन यहां आते ही वह किसी को डंक नहीं मारेगा। फुरकान ने दावा किया कि आप दुनिया के किसी भी हिस्से से कितना भी जहरीला बिच्छू यहां ले आइए, वो दरगाह परिसर में आते ही किसी को नहीं काटेगा। इसके अलावा आप बिच्छू को अपने हाथ पर भी ले सकते हैं और सूफी की इजाजतसे उन्हें घर भी ले जा सकते हैं। आपको यह बताना होगा कि आप बिच्छू को कब वापस लायेंगे। उस समयसीमा तक, बिच्छू आपको नहीं काटेगा, लेकिन समयसीमा निकल जाती है, यहां तक कि एक मिनट भी ऊपर होता जाता है, तो यह खतरनाक जीव डंक मारेगा। दरगाह के खादिम फुरकान बताते हैं कि यहां बहोइट,प्रेत और आसेब का भी इलाज होता है। कोरोना प्रकोप के चलते दरगाह के आसपास भीड़भाड़ वाले स्थान को फिलहाल बंद कर रखा है। वही दरगाह के अंदर यहां आने वाले जायरीनो को सलाम करवा कर तुरंत ही बाहर भेज दिया जाता है साथ ही COVID-19 की गाइडलाइंस का पालन किया जा रहा है। उनके मुताबिक कोरोना से पहले हजारों की संख्या में जायरीन बाबा की दरगाह पर आते थे वहीं अब कोरोना के चलते यह संख्या घटकर अब न के बराबर रह गई है।

Related Articles

Back to top button