पीसीसी अध्यक्ष ने लता उसेंडी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा की जनता का ध्यान भटका रही भाजपा

कोंडागांव। पीसीसी अध्यक्ष व स्थानीय विधायक मोहन मरकाम ने महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ सखी सेंटर जाकर पीड़ित महिला के परिवारजनों से मुलाकात कर आरोपियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही का भरोसा दिलाया और राज्य शासन से हर संभव सहायता दिलाने की बात कही।
इस घटना पर मोहन मरकाम ने पूर्व मंत्री लता उसेंडी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि बनियागांव की महिला के साथ अपहरण और बलात्कार की घटना घटने पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने ही त्वरित कार्यवाही करके आरोपियों को गिरफ्तार किया। बलात्कार की हर घटना बेहद दुखद और आपत्तिजनक है।
दरअसल लता उसेंडी उत्तर प्रदेश में हाथरस एवं ऐसी ही अन्य महिला विरोधी घटनाओं के कारण भाजपा की केंद्र सरकार और भाजपा के विरुद्ध जनमानस में उफ़नते हुए गुस्से से ध्यान हटाने के लिए आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति का सहारा ले रही हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बलात्कार की घटनाओं में कमी आई। लता उसेंडी भाजपा शासित उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और हरियाणा में महिलाओं की स्थिति पर क्यों खामोश हैं।
मोहन मरकाम ने कहा है कि लता उसेंडी सबसे पहले यह तो बताए कि मसोरा की घटना जिसमें भाजपा कार्यकर्ता और पूर्व मंत्री लता उसेंडी के रिश्तेदार शामिल थे उस पर उन्होंने क्या किया था। तत्कालीन मंत्री पद पर आसीन लता ने सरकारी दबाव डालकर बलात्कार के आरोपियों को बचाने की कोशिश क्यों की थी। प्रदेश अध्यक्ष ने पूछा है कि जम्मू में कठुआ उत्तर प्रदेश में उन्नाव और उन्नाव के बाद हाथरस और भदोही जैसी घटनाओं पर अभी तक लता उसेंडी क्यों चुप रहीं। रमन सिंह सरकार में लगातार महिलाओं के खिलाफ और खासकर बस्तर में महिलाओं के खिलाफ पेद्दागेलूर सारकेगुड़ा जैसी भयावह घटनाएं होती रहीं, लेकिन लता ने कभी भी अपना मुंह खोलना उचित नहीं समझा। महिलाओं के साथ नसबंदी, गर्भाशय कांड, झलियामारी कांड बस्तर के बीजापुर में बैडमिंटन छात्रा के साथ कोच द्वारा बलात्कार, मीना खलखो कांड जैसी घटनाओं पर कभी लता उसेंडी का मुंह नहीं खुला। स्वयं रमन सरकार में मंत्री होने के कारण लता उसेंडी भी रमन सिंह सरकार के 15 साल के कार्यकाल में हुई इन महिला विरोधी घटनाओं के लिए बराबर की जिम्मेदार थी लेकिन उन्हें कभी महिलाओं की तकलीफ समझ में नहीं आई और अब सत्ता से हटने के बाद और चुनाव हार जाने के बाद वे बयानबाजी करके सुर्खियों में बने रहने की राजनीति कर रहे हैं। वास्तव में लता उसेंडी को महिलाओं के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है यदि लता उसेंडी को महिलाओं के प्रति सहानुभूति होती तो इन 15 साल में कभी न कभी वह महिलाओं के साथ और खासकर बस्तर की महिलाओं के साथ खड़ी हुई होती।
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