अंचल में धूमधाम से मनाया गया तीजा पर्व

✍Rajeev Gupta
कोंडागांव । छत्तीसगढ़ का पारंपरिक पर्व तीजा अंचल में बड़े ही धूमधाम और उत्साह से मनाया गया। पर्व को लेकर महिलाओं में जहां खासा उत्साह देखा गया । वहीं शासन द्वारा दिए गए शासकीय अवकाश से इस त्यौहार की रौनक और भी बढ़ गई। इससे पहले राज्य में केवल महिला कर्मचारियों को ही अवकाश की पात्रता हुआ करती थी ।
स्थानीय परंपरा अनुसार
परंपरा है इस पर्व पर महिला अपने मायके पहुंचकर ही तीजा व्रत रखती हैं। इसके चलते सभी सुहागन महिलाएं अपनी मायके पहुंच गई और महिलाओं ने करूं भात खाकर तीज का निर्जला व्रत अपनी पति की लंबी आयु के लिए रखा। परंपरा है कि इस पर्व पर महिलाएं निर्जला व्रत रहकर भगवान शिव और गौरी की पूजा- अर्चना करती है। जिसका निर्वहन अंचल में आज भी महिलाएं बकायदा अपने मायके में पहुंचकर करती आ रही हैं। व्रत से पहले दिन महिलाएं करेले की सब्जी खाकर इस व्रत को रखती हैं। निर्जला व्रत रखने के उपरांत दूसरे दिन पूजा पाठ कर सुबह व्रत तोड़कर फलाहार महिलाएं करती हैं।
तीज व्रत की मान्यता
हरतालिका व्रत के दिन कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियाँ गौरी-शंकर की पूजा करती हैं। यह त्यौहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है क्योंकि जहां करवाचौथ में चांद देखने के बाद व्रत तोड़ दिया जाता है वहीं इस व्रत में पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और अगले दिन सुबह पूजा के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है। सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मनचाहा वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं।
सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर के लिए रखा था। इस दिन विशेष रूप से गौरी−शंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं। पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है।
इस व्रत को कुमारी कन्यायें या सुहागिन महिलाएं दोनों ही रखती हैं परन्तु एक बार व्रत रखने बाद जीवन पर्यन्त इस व्रत को रखना पड़ता है। यदि व्रती महिला गंभीर रोगी हालात में हो तो उसके वदले में दूसरी महिला या उसका पति भी इस व्रत को रख सकने का विधान है। इस व्रत के व्रती को शयन का निषेध है इसके लिए उसे रात्रि में भजन कीर्तन के साथ रात्रि जागरण करना पड़ता है।
दो दिन व्रत को लेकर असमंजस की बनी स्थिति
इस व्रत को लेकर कुछ संशय की स्थिति इसलिए भी बनी है कि कुछ महिलाएं रविवार को तीज का व्रत निराहार रहकर रख रही हैं। वहीं कुछ महिलाएं इसे सोमवार को भी रखने की बात कह रही हैं। हालांकि शास्त्र के अनुसार दोनों दिन तीज की तिथि होने की बात जानकार लोगों द्वारा कही जा रही है। इसके चलते इस बार यह व्रत दो दिन का होकर रह गया है।