*◆सुरक्षा व रखरखाव के नाम पर लाखों रुपए खर्च के बावजूद हज़ारों क्विंटल धान बर्बाद◆*

*(हरसाल बारिश के भेंट चढ़ रहा सोसायटियों में रखा धान, दुर्दशा से अन्नदाता रुष्ट)*
बेमेतरा/बेरला:- ज़िले के बेरला विकासखण्ड अंतर्गत स्थित सेवा सहकारी समिति के धान खरीदी एवं उपार्जन केंद्रों में धान की सरेआम बर्बादी हो रही है। व्यवस्था के नाम पर लाखों रुपया डकार जाने के बावजूद समिति प्रबन्धन धान की दाने-दाने को सहेजने में नाकाम व फ्लॉप साबित हुए है।देखा जाए तो यह दुर्दशा बेरला ब्लॉक के अधिकांश सोसायटी केंद्रों में दिखाई पड़ रहा है, जहां धान को सुरक्षित रखने एवं रखरखाव के नाम पर लाखों रुपये निकाले जाते है। इसके बावजूद हरसाल हज़ारो क्विंटल धान बारिश में भीगकर खराब हो जाते है, जिससे शासन-प्रशासन के बेतहाशा पैसों की बर्बादी होती है। जिसमे समिति प्रबन्धन की बड़ी मनमानी, गैर-जिम्मेदारी एवं लापरवाही सामने आ रही है।क्षेत्र के अन्नदाता किसानों में इस तरह के परिस्थियों को देखकर धान उगाने एवं बेचने के लिए सोचना पड़ रहा है, क्योंकि जिस अन्न को किसान परिवार बड़ी मेहनत से उगाता है,उसे सोसायटी प्रबन्धन द्वारा बारिश से भीगे जाने के बाद अवशेष धान को कूड़े-कचरे के ढेर में डाल दिया जाता है।जिसका ताज़ा नज़ारा इन दिनों ज्यादातर सोसायटियों के समीप पड़े सड़े हुए बारदाने को देखकर लगाया जा सकता है।जबकि शासन-प्रशासन द्वारा हर क्विंटल के पीछे एक निश्चित दाम सुरक्षा, रखरखाव एवं खराब होने पर समिति प्रबन्धन को दिया जाता है, जिसके बावजूद हर साल बड़े स्तर पर यह खेल खेला जा रहा है।जिससे समिति प्रबन्धन लाखों के धान बर्बाद होने के बावजूद बेहिसाब पैसा पर्दे के पीछे से अर्जित कर रहे है।
*समितियों में इस तरह निकाला जाता है पैसा*
दरअसल ज्यादातर धान के सेवा सहकारी समितियो में सुरक्षागत व्यवस्था हेतु घेराबंदी तार-खम्भे, बिजली-लाईट व कैमरे, फड़ के लिए डैनेज भूसा व चबूतरा, बारिश से बचाने प्लास्टिक की चादर व तालपतरी, केंद्र में उपयोगी रस्सियां, केंद्र में व्यवस्था के लिए महिला एवं पुरूष के लिए अलग अलग प्रसाधन केंद्र, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, अखबार का बिल, विद्युत व अन्य मरम्मत का कार्य, साफ-सफाई व व्यवस्था सहित अनेकों कार्य के माध्यम से वास्वत से अधिक का बिल लगाकर लाखों रुपये हरसाल सोसायटियों में निकाले जाते है।इसके बावजूद समितियों में धान को बचा पाने में नाकामयाब होते है, जिसके प्रति समिति प्रबन्धन पूरी तरह जिम्मेदार है।
*जबकि वास्तव में यह है, हाल*
फिलहाल ज्यादातर सोसायटी केंद्रों में पक्की प्रसाधन से लेकर शुद्ध पेयजल की उचित व्यवस्था नही है, वही तालपतरी लगातार खरीदने के बावजूद सैकड़ो बारदाने में धान भीग रहे है। कैमरो की स्थिति भी जवाबदेह या स्पष्ट नही है, कही कही पर मनमुताबिक लगाकर ऐसे ही छोड़ दिया जाता है।जिसमे कई बन्द भी रहते है, वही सुरक्षित बाड़े व घेराबंदी न होने से चोरियां भी होती है।इसके अलावा काफी मात्रा में डैनेज भूसा रखने के बावजूद धान खराब होना आम बात है।बताया जाता है कि कई मरम्मत, निर्माण कार्यो व सामानों की खरीदी में अनेकों तरह की अनियमितता होती है, जिसकी जांच न होने से कभी हेराफेरी व घोटाले का खुलासा हो नही पाता है।जबकि प्रशासन द्वारा दिया जा रहा यह पैसा आम जनता का ही कमाई का पैसा है, जिसपर बंदरबांट चलता है।