निजी कॉलेजों ने एआईसीटीई के सर्कुलरों को दरकिनार कर लगातार छंटीन कर रहे है टिचिंग

भिलाई। एक ओर जहां केन्द्र सरकार का स्पष्ट आदेश है कि कोई भी कंपनी, कारर्पोरेट तथा सभी प्रकार की संस्थाने अपने वर्करों, श्रमिको, शैक्षणिक संस्थाने अपने प्रोफेसरों और शिक्षकों को काम से निकाले, लेकिन इसके लिए कानून नही बनाने से केन्द्र और राज्य सरकार के निर्दैशों का अवहेलना करते हुए कंपनी, से लेकर सभी तरह की संस्थाने अपने वर्करों, श्रमिकों को तो लगातार निकाल ही रहे है, यहां तक कि सबसे अधिक बुद्धिजीवी वर्ग मे आने वाले शैक्षणिक संस्थाने भी केन्द्र सरकार के घोषणा की अवहेलना करते हुए अपने टिचिंग एवं नॉन टिचिंग स्टाफों को जिसमें प्रोफैसर भी शामिल है, उनको लगातार छंटनी कर निकाल रहे है, यहां तक कि हाल ही के मात्र 20 दिनों में ही दुर्ग-भिलाई के निजी इंजीनियरिेंग कॉलेजों ने अब तक अपने 50 लोगों कीं को छंटनी कर निकाल दिया है। जबकि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद को लगातार मिल रही इन्हीं शिकायतों के बाद एक सर्कुलर जारी किया गया। एआईसीटीई द्वारा कहा गया कि कोई भी कॉलेज अपने कर्मचारी का वेतन नहीं काटें, साथ ही जो प्रोफेसर घरों से पढ़ा रहे हैं, उनको भी पूरा वेतन मिलेगा। यह सर्कुलर कॉलेजों तक भी पहुंचा है, लेकिन कॉलेज संचालक इसको दरकिनार कर अपनी मनमानी कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज इम्पलॉइर्ज यूनियन ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद एआईसीटीई को इस बारे में शिकायत की है साथ में टर्मिनेशन से जुड़े कुछ साक्ष्य भी उपलब्ध कराए हैं। बड़े पैमाने पर छटनी करने वालों में भिलाई और रायपुर के दो-दो कॉलेजों का नाम सबसे आगे आ रहा है। कोरोना संक्रमण की वजह से कॉलेज बंद है, जिससे कॉलेजों को पूर्व व वर्तमान सेमेस्टर की फीस जैसे कई मद नहीं मिल पाए। इसका इफेक्ट कम करने के लिए कॉलेजों ने अपने स्टाफ को ही निकालना शुरू कर दिया।
एसोसिएशन ने कॉलेज प्रोफेसरों को जारी किया सर्कुलर, किसी भी तरह के रिजाईन लेटर पर न करें साईन
यूनियन के अध्यक्ष डॉ. बीएल महाराणा ने बताया, चार संस्थाएं ऐसी हैं, जिन्होंने अपने स्टाफ को परेशान करते हुए उनसे रिजाइन लेटर जबरन लिखवाएं हैं। इसके बाद से ही एसोसिएशन ने तमाम कॉलेजों को प्रोफेसरों के लिए सर्कुलर जारी कर दिया है कि किसी भी तरह से रिजाइन लेटर पर हस्ताक्षर नहीं करें। दरअसल, रायपुर के एक कॉलेज में करीब 12 साल तक सर्विस करने वाले प्रोफेसर को नौकरी से निकालने क बाद यह मामला जमकर गरमा गया।
नॉन-टीचिंग स्टाफ को वेतन नहीं
प्रदेश के करीब दो दर्जन इंजीनियरिंग कॉलेजों ने अपने कर्मचारियों के वेतन में 15 से 50 फीसदी तक की कटौती कर दी है। भिलाई दुर्ग के दो कॉलेजों ने नॉन टीचिंग स्टाफ, जिनमें बस ड्राइवर, सफाई के कर्मचारी व लिपिक कार्य में जुटे कर्मचारियों को फिलहाल वेतन नही दे पाने की बात कह दी है। उनसे कहा गया है कि जब कॉलेज दोबारा चालू होगा, तब उनकी सेवाएं ली जाएगी, लेकिन तब तक के लिए कॉलेज उनको वेतन नहीं दे पाएगा।