नवीन गौठानों की स्थापना के साथ होगा योजना का विस्तार

नवीन गौठानों की स्थापना के साथ होगा योजना का विस्तार
गोधन न्याय योजना का कार्यक्षेत्र संपूर्ण प्रदेश आगामी वर्षो में नवीन गौठानों की स्थापना के साथ-साथ आवश्यकता अनुसार योजना का विस्तार किया जाएगा। गोबर का क्रय एवं भुगतान की प्रक्रिया के अनुसार गौठान समितियों द्वारा उसी पंचायत का गोबर क्रय किया जा सकेगा। गौठान समिति गोबर खरीदी के लिए समय का निर्धारण किया जाएगा। गौठान में गोवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुपालक से गोबर का क्रय शासन द्वारा निर्धारित दर से किया जाएगा। वर्तमान में शासन द्वारा 2 रूपए किलोग्राम (परिवहन व्यय सहित) की दर निर्धारित की गई है। पशुपालक गोबर का विक्रय स्वैच्छिक रूप से कर सकेंगे। गोबर की गुणवत्ता हाथ में उठाये जाने लायक अर्धठोस प्रकृति की होगी। गोबर में कांच, मिट्टी, प्लास्टिक इत्यादि नही होना चाहिए।
गौठान समिति द्वारा पशुपालकों से क्रय किए जा रहे गोबर का लेखा विवरण दो प्रतियों में रखा जाएगा। गोबर क्रय पत्रक का नमूना निर्धारित किया गया है। गोबर क्रय पत्रक में पशुपालक का हस्ताक्षर अनिवार्य रूप से लिया जाएगा। हितग्राहियों से गोबर ही लिया जाएगा, गोबर के कोई उत्पाद यथा कंडा इत्यादि नहीं लिया जाएगा। बायोमॉस (जैविक अपशिष्ट) स्वेच्छा से गौठानों में प्रदाय किया जा सकता है, परंतु इसके लिए कोई भी राशि देय नहीं होगी।
गौठान में रहने वाले पशुओं द्वारा उत्सर्जित गोबर गौठान के स्वत्व में होगा, उसके लिए पशुपालक को पृथक से राशि देय नहीं होगी। गौठान में पशुओं हेतु यथासंभव हरा चारा की आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। क्रय उपरांत गोबर को संग्रहित कर गौठान में सामान्यतः अंदरूनी क्षेत्र में निर्मित सीपीटी में रखा जाएगा तथा 15 से 20 दिन के उपरांत वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने में उपयोग किया जाएगा। क्रय किए गए गोबर की राशि का भुगतान प्रत्येक 15 दिवस में गौठान समिति द्वारा हितग्राहियों को किया जाएगा। गोबर के भार मापन हेतु कैलिबरेटेड फर्मा, तराजू का उपयोग किया जाएगा। गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन के किसी भी प्रक्रिया अथवा चरण में 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति, सदस्य को शामिल नहीं किया जाएगा। गौठान में वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन हेतु स्व सहायता समूह का चिन्हांकन, चयन अनिवार्य रूप से तत्काल करने के निर्देश दिए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में चरवाहा स्व-सहायता समूह के अभिन्न अंग होगे। यह कार्य कलेक्टर के नेतृत्व में ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत एवं शहरी क्षेत्रों में आयुक्त, मुख्य नगरपालिका अधिकारी, नगरीय निकाय की निगरानी में किया जाएगा।