BEMETARA:”हमर चिरई हमर चिन्हारी” गिधवा परसदा के ग्रामीण करेंगे पक्षी महोत्सव में आये मेहमानों की अगुवाई,मेहमानों के लिए ग्रामीण अपने घरों में कर रहे व्यवस्था

बेमेतरा:दुर्ग वनमंडल अंतर्गत ग्राम गिधवा-परसदा में आयोजित होने वाले तीन दिवसीय पक्षी महोत्सव (31 जनवरी से 2 फरवरी) के आयोजन को लेकर गिधवा और परसदा दोनो गांव के लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है,ग्रामीण वन विभाग के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार हैं।ग्रामीणों का कहना है कि “हमर गाँव मे आये ऐरी चिरई पनडुब्बी आन्दू अउ कोकड़ा से हर गाँव ल नया पहचान मिलहि त हमू सभ आने वाला मेहमान मन के स्वागत करबो”
2009 में पता चला कि ये पक्षी प्रवासी हैं तब से करते हैं इनकी रखवाली
गिधवा और परसदा के ग्रामीणों ने बताया कि 2009 में शिक्षक मनोज वर्मा ने हमें बताया कि ये पक्षी विदेशी हैं और सर्दियों में हमारे तालाबो में प्रवास करते हैं, तब से ही हम आने वाले पक्षियों की रखवाली करते हैं गांव से बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी इन पक्षियों को शिकारियों से बचाते आ रहे हैं।
पक्षी महोत्सव में गाँव मे ही मिलेगा होम स्टे
तीन दिवसीय पक्षी महोत्सव में आये मेहमानों के रुकने के लिए हालांकि टेंट और सरकारी भवनों की व्यवस्था की गई है पर ग्रामीण अपने घरों में भी मेहमानों के रुकने की व्यवस्था कर रहे हैं, जिससे आने वाले समय मे होम स्टे के रूप में रोजगार से जोड़कर देखा जा रहा है।गिधवा और परसदा के ग्रामीणों में भी इस नई व्यवस्था को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है,मेहमानों के लिए कमरे की सफाई से लेकर सारी व्यवस्थाएं घर वाले दुरुस्त कर रहे हैं।
कई सालों से यहां आते होंगे प्रवासी पक्षी
सर्दियों की दस्तक के साथ अक्टूबर से मार्च के बीच यहां यूरोप,मंगोलिया, बर्मा और बांग्लादेश से पहुंचते हैं। जलाशय की मछलियां, गांव की नम भूमि और जैव विविधता इन्हें आकर्षित करती है। गिधवा और परसदा दोनों वॉटर बॉडी में गैडवाल, नॉर्थन पिनटेल,रेड क्रेस्टेड पोचार्ड कॉमन पोचार्ड, मार्श, सेंड पाइपर, काॅमन सेंड पाइपर, कॉमन ग्रीन शेंक, काॅमन रेड शेंक आदि सैकड़ों हजारों की तादाद में यहां हैं।
2016 से 2019 तक इस क्षेत्र में बारिश बहुत कम हुई जिससे तालाब सुख गया और पक्षी नही आये पर 2020 में अच्छी बारिश हुई और यह दोनों गाँव के तालाब फिर से पक्षियों से गुलजार हो गया,इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये प्रवासी पक्षियों के उड़ने का रास्ता होगा।
आयोजन के लिए अलग अलग समूहों का गठन कर प्रभारी नियुक्त किये गए हैं,ग्रामीणों और वन विभाग के अधिकारियों के अन्य सहयोगी भी आयोजन में अपनी भागीदारी दे रहे।
क्या कहते हैं ग्रामीण
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हमें सन 2009 में पता चला कि हमारे गांव में आये हुए पक्षी प्रवासी हैं तभी से हम सभी गाँव वालों ने ये फैसला किया हम इनकी रक्षा करेंगे,,,आज यही पक्षियों से हमारे गाँव को नई पहचान मिल रही है।
गजेंद्र घृतलहरे(फोटो)
पूर्व सरपंच गिधवा
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सन 2009 में मैन सबसे पहले इन पक्षियों को देखा और गाव वालों सहित रायपुर वन अनुसंधान केंद्र को इसकी खबर दी,उसके बाद पक्षी विशेषग्यों के द्वारा इस जगह का निरीक्षण भी किया गया,यहाँ तक कि इस जगह के पक्षियों के ऊपर रिसर्च पेपर भी प्रकाशित हुए हैं।
मनोज वर्मा,शिक्षक(भाठापारा)
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हमारे गांव में प्रदेश के पहले पक्षी महोत्सव का आयोजन हमें गौरवान्वित करता है हम सभी ग्रामीण पूरी तरह से इस आयोजन की सफलता के लिए मेहनत कर रहे हैं।आज हमारे गाँव में आने वाले पक्षियों की वजह से ही पूरे प्रदेश में हमारे गाँव की पहचान बन गई है।
केशव साहू,सरपंच ग्राम गिधवा
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इस महोत्सव से हमारे गाँव को एक नई पहचान मिलने वाली है हमारे तालाबो में सुबह शाम तैरने वाले पंछियों की वजह से हमारा भी नाम होने वाला है,,,बस यही सोच कर हम सभी ग्रामीण इस महोत्सव का बेसब्री से इंतिजार कर रहे हैं,,, और मेहमानों और आने वाले पक्षी प्रेमियों का बड़े उत्साह से स्वागत करेंगे
-राजेश साहू,सरपंच ग्राम पंचायत परसदा
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वर्शन
ईको पर्यटन और स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस पक्षी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा इससे लोगों में पक्षियों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी साथ ही साथ ग्रामीणों के जागरूक होने से ऐसे आयोजनों में निरंतरता रहेगी।
धमशील गनवीर,डीएफओ दुर्ग डिवीजन
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