विजयादशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक-हिमांशु महराज
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विजयादशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक-हिमांशु महराज
लोरमी-हमारी भारतीय संस्कृति मे दिन तिथि करण योग तथा मुहूर्त का बड़ा ही महत्व है।भारत विश्वगुरु अपनी आध्यात्मिक शक्ति के कारण रहा है।इस राष्ट्र ने विश्व को वसुधैवकुटुम्बकम आत्मकल्याण जनकल्याण तथा विश्वकल्याण का सुत्र दिया है।शक्ति संचय से लेकर शक्ति के सदुपयोग की शिक्षा भगवती दुर्गा भगवान् श्रीराम योगेश्वर श्रीकृष्ण योगीश्वर भगवान् शंकर तथा भक्त श्री हनुमान जी के चरित्रो मे देखने को मिलता है।राम जहा करूणा दया छमा ममता मर्यादा पुरुषोत्तम के प्रतीक है वही भौतिक संसाधनो के स्वामी आततायी रावण हिन्सा दमन अलगाववादी आतंकवादी काम क्रोध लोभ मोह मद मत्सर तथा अधर्म के प्रतिनिधि दृष्टिगोचर होते है।आज नौ लाख वर्ष बाद भी जहा पूरा विश्व भगवान् श्रीराम का पूजन कर रहा है वही प्रत्येक दशहरा विजयादशमी के पर्व को रावण का पुतला दहन किया जाता है।यह बुराई पर अच्छाई की जीत पर्व है।विजयादशमी हमे यह संदेश देता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के बताए आदर्शो पर चले।प्रत्येक परिस्थिति मे अच्छाई के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते रहे।आज पूरा विश्व भगवान् श्रीराम श्री कृष्ण की सामुहिक शक्ति की नीति के द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना कोरोना से दो गज दूरी मास्क जरूरी के नारे सेनेटाइजर के उपयोग तथा संयमरूपी नारायण अस्त्र से कोरोना से विजय प्राप्त कर रहा है।दशहरा हमे विश्वबन्धुत्व भाईचारातथा मिलजूलकर रहने की शिक्षा देता है।यह विचार मनियारी साहित्य एवम् सेवा समिति लोरमी के सचिव तथा कथावाचक डॉक्टर सत्यनारायण तिवारी हिमांशु महराज ने दशहरा की पूर्व संध्या पर व्यक्त करते हुए विजयादशमी की हार्दिक शुभकामना प्रेषित किए।