जनभागीदारी शिक्षक बनकर सेवा दिए जनभागीदारी शिक्षकों को नई सरकार से एक उम्मीद की किरण जगी

सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़ सरसिवा- तक विभिन्ना स्कूलों में जनभागीदारी शिक्षक बनकर सेवा दिए जनभागीदारी शिक्षकों को नई सरकार से एक उम्मीद की किरण जगी है। जनभागीदारी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने सरसींवा में पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि वर्षों तक उन्नायन शाला के जनभागीदारी शिक्षक के रूप में सेवा कार्य कर चुके साथियों को एक बार पुनः नई सरकार से उम्मीद जगी है। इसी के तहत अपनी मांग के समर्थन में एक जनवरी 2019 को रायपुर में मुख्यमंत्री निवास के पास मिलकर मांग रखेंगे।
श्री शर्मा ने बताया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा स्कूलों में हमें इसलिए शिक्षकर्मी में संविलियन नहीं किया क्योंकि हमारी नियुक्ति तत्कालीन कांग्रेस के शासन काल में सन 2003 में हुई थी। पूर्ववर्ती भाजपा शासन ने जनभागीदारी शिक्षकों की सेवा सन 2013 तक ली। उसके बाद उन्नयीत शालाओं में नई नियुक्ति करके अध्यापनरत जनभागीदारी शिक्षकों को अनुभवक देकर निकाल दिए थे। पूरे प्रदेश में दस हजार से अधिक बेरोजगार युवकों ने जनभागीदारी शिक्षक बनकर उन्नायित मिडिल स्कूल, हाईस्कूल एवं हायर सेकंडरी स्कूलों में सेवा दी है। इन स्कूलों का उन्नायन राज्यपाल के आदेश के तहत हुआ था।
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने इसका संचालन स्वयं के हाथों में ले लिए और इन स्कूलों को शासकीय करण कर दिए पर इन स्कूलों में अध्यापनरत जनभागीदारी शिक्षकों को कांग्रेसी सरकार की देन कह कर भाजपा सरकार ने निकाल दिए। आज ये जनभागीदारी शिक्षक बेरोजगारी के साथ साथ उम्रदराज भी हो गए हैं। छत्तीसगढ़ के इतिहास में इन बेरोजगार युवाओं के साथ रमन सरकार ने छल किया है। जबकि नौकरी की आस लिए शिक्षक आज भी शासन का राह देख रहे हैं। शासन ने 2003 में 719 मिडिल स्कूल, 699 हाई स्कूल व 351 हायर सेकंडरी स्कूलों का उन्नायन किया था एवं इन शालाओं का संचालन पंचायत एवं जनभागीदारी शिक्षा समिति को सौंपी थी। उनके बाद स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों को शासन ने अध्ययन करने के की बात कही थी। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने 15 वर्षों तक शिक्षाकर्मी भर्ती की पर जनभागीदारी शिक्षकों की नियुक्ति न कर शालाओं से निकाल दिया गया। भाजपा सरकार द्वारा दोहरा मापदंड अपनाया गया। अब कांग्रेस सरकार वनवास के साथ वापस आ गई तो जनभागीदारी शिक्षकों का वनवास भी खत्म कर पुनः नियुक्ति करना चाहिए। इन्हीं मांग को लेकर 1 जनवरी को मुख्यमंत्री से मिलकर बात रखेंगे।
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