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गुजरात HC ने कहा, प्रवासियों का किराया राज्य दे या रेलवे मुफ्त चलाए ट्रेन – Gujarat High Court says, State must pay or Railways should waive migrants | nation – News in Hindi

गुजरात HC ने कहा, प्रवासियों का किराया राज्य दे या रेलवे मुफ्त चलाए ट्रेन

गुजरात हाईकोर्ट में प्रवा​सी कामगारों पर हुई सुनवाई.

राज्य सरकार ने कहा था कि कई प्रवासी अपने दम पर राज्य में आए थे इसलिए अंतर-राज्य प्रवासी कामगार (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम 1979 के प्रावधान इन पर लागू नहीं होते.

नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को खत्म करने के लिए पिछले 24 मार्च से लॉकडाउन (Lockdown) चल रहा है. लॉकडाउन के तीसरे चरण में प्रवासियों को अपने गृह राज्य जाने की छूट दे दी गई थी. प्रवासियों (Migrant Worker) की सुविधा के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन (Shramik Special Train) भी शुरू की गई थीं. लेकिन रेलवे के किराए को लेकर राज्य और केंद्र में विवाद हो गया. इसी मामले में अब गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि गृह राज्य आने वाले प्रवासियों का किराया या तो राज्यों को वहन करना चाहिए या फिर रेलवे को ये सुविधा मुफ्त कर देनी चाहिए.

बता दें कि गुजरात हाईकोर्ट में प्रवासियों को हो रही दिक्कत को लेकर हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा था कि कई प्रवासी अपने दम पर राज्य में आए थे इसलिए अंतर-राज्य प्रवासी कामगार (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम 1979 के प्रावधान इन पर लागू नहीं होते. इस अधिनियम के तहत ऐसे प्रवासियों को विस्थापन भत्ता और यात्रा शुल्क नहीं दिया जा सकता.

राज्य सरकार ने यह बात वकील आनंद याग्निक की ओर से डाली गई याचिकाओं के संबंध में कही. बताया जा रहा है कि गुजरात हाईकोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के जुड़ी कई जनहित याचिका डाली गई हैं, जिस पर कोर्ट सुनाई कर रहा है. सरकार ने तर्क दिया है कि अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक अधिनियम 1979 के प्रावधान उक्त अधिनियम के तहत पंजीकृत प्रवासी श्रमिकों के लिए लागू हैं. अधिनियम के तहत 7,512 श्रमिक पंजीकृत हैं. उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर पूरे राज्य में लगभग 22.5 लाख प्रवासी कामगार हैं. उनमें से अधिकांश अपने दम पर राज्य में आए हैं. सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे प्रवासी कामगारों को अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक अधिनियम, 1979 के अनुभाग 14 और 15 के तहत यात्रा भत्ता और विस्थापन भत्ता के भुगतान नहीं किया जा सकता.

रिपोर्ट में ओडिशा, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु की सरकारों का भी जिक्र किया गया है. इसमें बताया गया है कि गुजरात सरकार की तरह ही अन्य राज्यों की सरकारें भी रेलवे का यात्रा शुल्क देने मे असमर्थ हैं.इसे भी पढ़ें :-



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