रामचरितमानस सम्मेलन में बह रही रामनाम की धारा….
रामचरितमानस सम्मेलन में बह रही रामनाम की धारा….
मुंगेली बी आर साव हाई स्कूल मैदान में श्री रामचरितमानस समिति मुंगेली द्वारा समायोजित नवदिवसीय, 22 वें वर्ष श्री राम कथा में, वाराणसी से पधारे हुए जगतगुरु अनंतानंद द्वाराचार्य स्वामी डॉक्टर रामकमल दास वेदांती जी महाराज जी ने तृतीय दिवस में श्री राम कथा के प्राकट्य की मंगलमय कथा को सुनाते हुए कहा कि श्री रामचरितमानस में दो पात्र बड़े महत्वपूर्ण है और दोनों के ही नाम के प्रारंभ में दस का अंक जोड़ा गया है जैसे कि दशरथ और दशानन ।
इन नामों के रहस्य को उद्घाटित करते हुए स्वामी वेदांती जी ने बताया कि प्रत्येक प्राणी के अंदर में दस इंद्रियां रहती है, पांच ज्ञानेंद्रियां व पांच कर्मेंद्रियां ।
जिस प्राणी का इंद्रियों पर कोई संयम नहीं है वही दशानन है उसी के घर में आतंक का प्रतीक मेघनाथ पैदा होता है। जिसके कारण सारा जीवन अशांति से भरा रहता है। वहीं दूसरी ओर दशरथ वह प्राणी है जिसने दसों इंद्रिय रूपी घोड़ों को लगाम लगा दी है और जीवन रथ को ईश्वर की ओर बढ़ा रहा है उसी का नाम दशरथ है उसी के घर में श्री राम का प्राकट्य होता है
स्वामी जी के साथ वाराणसी के आए हुए संगीतकारों ने सरस भजनों के माध्यम श्रोताओं को रस विभोर कर दिया। इस कथा में दिन प्रतिदिन श्रोताओं की संख्या बढ़ रही है।समिति के पदाधिकारियों ने सभी को कथा में भाग लेने के लिए आवाहन किया है ।।