छत्तीसगढ़

प्रतिदिन की भांति अद्भुत एवं सुंदर अलौकिक ऑनलाइन सत्संग का आयोजन पाटेश्वर धाम के बालयोगेश्वर संत श्री राम बालक दास जी द्वारा

छत्तीसगढ़:-

13 सितम्बर
प्रतिदिन की भांति अद्भुत एवं सुंदर अलौकिक ऑनलाइन सत्संग का आयोजन पाटेश्वर धाम के बालयोगेश्वर संत श्री राम बालक दास जी द्वारा अपने ऑनलाइन ग्रुप सीता रसोई संचालन वाट्सएप ग्रुप में प्रातः 10:00 से 11:00 बजे और दोपहर 1:00 से 2:00 बजे आयोजित किया जा रहा है, इसमें सभी भक्तों प्रतिदिन जुड़ते हैं एवं अपनी जिज्ञासाओं को बाबाजी के समक्ष रखकर अद्भुत ज्ञान की प्राप्ति करते हैं.
आज की सत्संग परिचर्चा में बाबा जी ने सभी को इंदिरा एकादशी के पावन पर्व की बधाइयां प्रेषित की एकादशी का महत्व बताते हुए बाबा जी ने कहा कि आज के दिन पितृ लोक के द्वार भी खुलते हैं बैकुंठ लोक में जाने के लिए हमारे पितरों को रास्ता मिलता है हमारे पितृपक्ष में नवमी एकादशी अमावस्या का विशेष महत्व है इसीलिए आज का पर्व बहुत अधिक महत्व रखता है
रामफल जी बकेला ने जिज्ञासा रखी थी, गुरुदेव कहते हैं की अंत समय में राम का नाम लेने से कल्याण हो जाता है और जीवन पर्यंत यदि कोई व्यक्ति दुष्कर्म किया हो किया उसका भी कल्याण हो जाता है गुरुदेव इस पर प्रकाश डाले
राम नाम के महत्व को स्पष्ट करते हैं बाबा जी ने कहा कि हमारे मुख पर प्रभु श्री राम का नाम आना महत्वपूर्ण है भगवान श्री राम जी ने कहा मेरे सम्मुख वही व्यक्ति आ सकता है जो मेरा भजन करता है , अंत समय पर आप के मुख्य में श्री राम का नाम आए इसके लिए आपको पूरे जीवन श्री राम का नाम भजना चाहिए, आपके हृदय में लोभ मोह काम क्रोध दुष्कर्म की भावनाएं नहीं होना चाहिए दिखावे के लिए श्री राम जी का नाम जपना व्यर्थ है, मन से प्रभु की भक्ति हो चित से तन से एवं संपूर्ण कर्म से राम भक्ति होना चाहिए राम के नाम का इतना महत्व है कि यदि गुनाक्षर न्याय के अंतर्गत कीड़ा गलती से भी राम का नाम लिख देता है तो उसको भी मोक्ष मिल जाता है लेकिन अवश्य ही उस किट पतंग के पूर्व जन्म का प्रभाव होगा या सत्संग का,
जो राम नाम के प्रभाव से वह मोक्ष प्राप्त कर पाया मनुष्य जन्म के लिए यह बिल्कुल नहीं है क्योंकि मनुष्य के पास ज्ञान है वह ज्ञानवान है कीट पतंगों की तरह मूर्ख नहीं, आपस में मिले तो राम नाम का नाम ले सो कर उठे तो राम नाम का अभिवादन करें हर क्षण राम के नाम को ही भजे , अपना कर्म करें तो भी राम नाम को जपते रहे माला जप कर माला जैसे भी हो श्री राम का भजन पूरे समय करते रहें अंत समय आने पर इसी प्रकार आप के मुख से भी राम नाम अवश्य निकलेगा दुष्कर्म करने वाले राम का भजन कर ही नहीं सकते क्योंकि श्री राम का भजन करने वाले कभी दुष्कर्म नहीं कर सकते,
पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी की सूर्य उपासना में अर्घ के महत्व के विषय में बताने की कृपा हो, बाबा जी ने सूर्य उपासना का महत्व बताते हुए कहा कि पंच देवी-देवताओं में सूर्य देव का महत्व है, सूर्य उपासना हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व रखती है, सूर्य हमारे पिता भी है क्योंकि सूर्य के बिना हम नहीं इसीलिए प्रातकाल सबसे पहले सूर्य को अर्घ देना प्रणाम करना या हमारी प्राचीन परंपरा है कुछ नास्तिक लोग कहते हैं कि यहां से अरघ देने से क्या सूर्यनारायण से ग्रहण करेंगे, सूर्य नारायण भगवान का अभिवादन है सच्चे हृदय से मन में स्मरण कर उन्हें मंत्रों द्वारा जल अर्पित करो तो उसमें इतनी शक्ति है कि भगवान अवश्य उसे ग्रहण करते हैं यह हमारी भारतीय परंपरा है जिसने मंत्रों का विशेष महत्व होता है वेद पुराण काल में तो मंत्रों के प्रभाव से पुष्पक विमान तक उड़ा दिया जाता था इसके लिए आज इंधन की आवश्यकता होती है बड़े-बड़े कार्यों को ऋषि मुनि महात्मा मंत्र के प्रभाव से पूर्ण कर लेते थे बस मन को एक प्रभु की शरण में अर्पित करें जो भगवान हमें ऊर्जा व जीवन प्रदान कर रहे हैं हमारे दिन को प्रकाशित कर रहे हैं उन्हें अभिवादन रूप में हम केवल जल ही अर्पित कर सकते हैं प्रातः काल जो सूर्य का दर्शन करते हैं उनके नेत्रों की ज्योति चित्त की प्रसन्नता चेहरे की चमक आत्मिक शांति व धन्यवाद प्रेषण से सहजता व सौम्यता का प्रसार होता हैं
संतोष श्रीवास जी ने, सूर्यनारायण को अर्घ देने के नियम बताने की विनती बाबाजी से की, सूर्यनारायण को अर्घ्य देने का कोई विशेष नियम नहीं है, कहीं आवश्यक नहीं कि आप गीले ही कपड़े से या किसी नदी तालाब में ही सूर्य नारायण को अर्घ्य स्नान के पश्चात, शुद्ध जल से शुद्ध स्थान पर अर्थ देना आवश्यक होता है, यह आवश्यक है कि आप का जल जहां गिरे वहां आपके पैर ना पड़े या किसी गमले आदि में आप रख दे सकते हैं,
मधुलिका जी ने प्रश्न किया कि अर्घ देने का समय क्या होना चाहिए, बाबा जी ने बताया कि सूर्यनारायण हमें कभी नहीं कहते कि मुझे इतने समय अर्घ दो यह तो हमारे लिए है कि हम सूर्यनारायण को या भोलेनाथ को कब जल चढ़ाएं, प्रातः ही आप उठकर स्नान करके प्रभु का नाम लेकर सूर्य नारायण को अरघ समर्पित कर सकते हैं, ब्रह्म मुहूर्त में उठे अपने नित्य कार्यों से निवृत होकर सुबह 4:00 से 6:00 के बीच अर्घ देना उत्तम होता है
ओम साहू जी ने रामचरितमानस की चौपाई नाथ सकल संपदा तुम्हारी….. प्रसंग को स्पष्ट करने की विनती बाबा जी से कि यह प्रसंग उस समय का है जब सीता राम जी के विवाह के पश्चात अयोध्या आकर विश्वमित्र जी कुछ दिन रुक कर जब जाने को होते हैं तब दशरथ जी अपनी तीनों पत्नियों चारों पुत्र और पुत्रवधू के साथ उनके समक्ष खड़े होकर कहते हैं कि हे नाथ महात्मा यह सब संपदा आपकी ही संपदा है मैं परिवार समेत आपका सेवक हूं, भारत के एक चक्रवर्ती राजा अपनी रानियों पुत्रों पुत्र वधू के साथ हाथ जोड़कर एक साधु के समक्ष खड़े हैं यहां हमारी विशाल भारतीय परंपरा को प्रदर्शित करता है
हरिशंकर साहू जी केने, 9कोरोना काल की महामारी में मार्गदर्शन की विनती की, कोरोना काल में बाबा जी ने सब को मार्गदर्शन देते हुए बताया कि चित्त को प्रसन्न रखे आनंदित रखिए सभी भय से मुक्त रहिए सावधानी का पालन करिए शासन के द्वारा बताए गए नियमों को अपनाने सात्विक भोजन करिए सात्विक जीवन अपनाकर मांसाहार मदिरा का त्याग करें आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को अपनाये, कोरोना प्रकृति, को अपने मूल रूप लाने में मदद कर रहा है बस आप अब अपने आप को संयमित रखिए कोरोना बीमारी है लेकिन यह बीमारी हमें तभी छूएगी जब हम कमजोर होंगे इसलिए पूर्ण प्रयासों द्वारा ऑनलाइन सत्संग का आयोजन हम कर रहे हैं ताकि आप घर बैठे संयमित रूप से भगवान को भजे
प्रकार आज का सत्संग आनंददायक रहा
जय सियाराम जय गौ माता जय गोपाल

 

सबका संदेश ब्युरो चीफ बेमेतरा टिकेश्वर साहू 9589819651

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