धर्म

14 जनवरी को सूर्यास्त के बाद राशि परिवर्तन करेंगे सूर्यदेव, 15 को रवियोग में मनाएंगे संक्रांति, बनेगें कई शुभ योग

सीकर. इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को नहीं मना कर 15 जनवरी को मनाया जाएगा. इसका कारण ये है कि सूर्य 14 जनवरी को अर्द्धरात्रि 2.44 बजे धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्यास्त के बाद राशि परिवर्तन करने से इस साल मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को रहेगा. अतः इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा.

पंडित घनश्याम शर्मा ने बताया कि इस साल मकर संक्रांति का योग शुभ रहेगा. मकर संक्रांति इस बार अश्व पर बैठकर आ रही हैं. इसका मतलब है कि वाहन अश्व और उपवाहन सिंहनी होगा. खास बात यह है कि मकर संक्रांति के आगमन के साथ ही एक माह का खरमास भी समाप्त हो जाएगा. इस साल की मकर संक्रांति शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए काफी अच्छी रहने वाली है.

इस पर्व पर तिल का है विशेष महत्व

व्यापारियों और कारोबारी लोगों को वस्तुओं की लागत कम होने से कुछ लाभ होने की संभावना है. हालांकि, इस दौरान किसी तरह का भय और चिंता बनी रह सकती है. संक्रांति 14 जनवरी की अर्धरात्रि में होने की वजह से साल 2019 और 2020 में भी मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को मनाया था. इस दिन स्नान-दान करने का है महत्व मकर संक्रांति से दिन धीरे-धीरे बढ़ना शुरू होंगे वहीं, रात्रि धीरे-धीरे छोटी होती जाएगी. इस पर्व पर तिल का विशेष महत्व है. सुबह तिल के स्नान, तिल से तर्पण, हवन, तिल के पूजन, तिलयुक्त पदाथों का दान का बहुत महत्व है. मकर संक्रांति पर स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध, अनुष्ठान और सूर्य की आराधना का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन दान करने से अनंत गुना फल प्राप्त होता है.सुबह 7.09 बजे से रहेगा रवि योग
ज्योतिष गणना के अनुसार इस साल मकर संक्रांति पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तारीख 15 जनवरी को रवि योग, शतभिषा नक्षत्र में मनाई जाएगी. रवि योग सुबह 7.09 से रात 1.30 बजे तक रहेगा. इस दिन भगवान को तिल के लड्डू और खिचड़ी का भोग लगाने का बहुत महत्व है. यदि आप नदी में स्नान नहीं कर सकते तो घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. सूर्य को जल चढ़ाएं.

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