धर्म

बैकुंठ चतुर्दशी पर किन लोगों के लिए खुलता है स्वर्ग का द्वार? पढ़ें नारद और भगवान विष्णु की रोचक कथा

बैकुंठ चतुर्दशी आज 25 नवंबर दिन शनिवार को है. आज के दिन भगवान हरिहर यानि भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करते हैं. आज इन दोनों की पूजा करने से व्यक्ति का कल्याण होता है. पाप मिटते हैं और सुख, शांति की प्राप्ति होती है. इस साल बैकुंठ चतुर्दशी रवि योग में है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बैकुंठ चतुर्दशी को भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है. वह जीवात्मा जन्म और मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है. कहा जाता है कि बैकुंठ चतुर्दशी को 1 दिन के लिए स्वर्ग का द्वार खुलता है. आइए जानते हैं बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा के बारे में.बैकुंठ चतुर्दशी 2023 शुभ मुहूर्त
कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ: 25 नवंबर, शनिवार, शाम 05 बजकर 22 मिनट से
कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी तिथि का समापन: 26 नवंबर, रविवार, दोपहर 03 बजकर 53 मिनट पर
निशिता मुहूर्त: रात 11 बजकर 41 मिनट से देर रात 12 बजकर 35 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक
शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबह 08:10 बजे से सुबह 09:30 बजे तक
रवि योग: दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से कल सुबह 06 बजकर 52 मिनट तकबैकुंठ चतुर्दशी 2023: क्यों खुलता है स्वर्ग का द्वार?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है, नारद जी पृथ्वी का भ्रमण करने के बाद बैकुंठ धाम पहुंचे. वहां उन्होंने भगवान विष्णु को प्रणाम किया तो उन्होंने नारद जी से आने का कारण पूछा. नारद जी ने कहा कि प्रभु! आप तो कृपानिधान हैं, इससे आपके प्रिय भक्त तो मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन आपके सामान्य भक्त आपकी कृपा से वंचित रह जाते हैं. इस वजह से आप कोई ऐसा मार्ग बताएं, जिससे सामान्य भक्त भी आपकी कृपा प्राप्त करके मोक्ष पा लें.

भगवान विष्णु ने नारद जी से कहा कि कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को कोई भी भक्त उनके नाम का स्मरण करके पूजा पाठ करता है तो उसे जीवन के अंत में बैकुंठ धाम प्राप्त होगा.

कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जानते हैं. आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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