छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

महापौर व अध्यक्ष के चुनाव में निर्णायक वोट का इंतजाम नहीं वार्डों की सम संख्या से तकनीकी दिक्कत की आशंका

भिलाई । नगरीय निकाय चुनाव की आज मतगणना शुरू होने के साथ ही नतीजे घोषित के बाद की संभावित तकनीकी दिक्कत पर चर्चा शुरू हो गई है। यह आशंका सभी निकायों में वार्डों की समसंख्या के चलते स्वाभाकि तौर पर उभरी है। बदली गई चुनाव प्रणाली में महापौर अथवा पालिका अध्यक्ष के चयन हेतु आवश्यक होने पर निर्णायक वोट का इंतजाम नहीं रखा गया है। ऐसे में नतीजे के बाद दो पक्षों के पार्षदों की संख्या समान रहने पर फैसला लेने में दिक्कत पैदा हो सकती है।

नगरीय निकायों के चुनाव में इस बार महापौर व अध्यक्ष का चयन पार्षदों के बहुमत के आधार पर होगा। सभी निकायों में वार्डों की समसंख्या होने से पार्षदों की संख्या बराबर रहने पर महापौर व अध्यक्ष के चयन का मापदंड क्या रहेगा, यह सवाल आज मतगणना प्रारंभ होने के साथ ही राजनीतिक गलियारे में उभरने लगा।

दरअसल इस बार का चुनाव निकायों के वार्डों की संख्या में बिना किसी फेरबदल के संपन्न होने जा रहा है। बस महापौर व अध्यक्ष के चुनाव के प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली को बदलकर अप्रत्यक्ष रूप से पार्षदों के बहुमत के आधार पर करने का नियम लागू किया गया है। वार्डों की संख्या में कोई फेरबदल नहीं किए जाने से सभी निकायों के वार्डों की संख्या सम रखी गई है। जबकि चुनाव प्रणाली बदलने के साथ ही सभी निकायों में वार्डों की संख्या को विषय रखा जाना चाहिए था। इससे महापौर अथवा पालिका अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों को पार्षदों के बराबर मत मिलने की स्थिति में विषय संख्या का एक वोट निर्णायक भूमिका में हता। लेकिन सभी निकायों में वार्डों की संख्या सम रहने से कहीं-कहीं पर महापौर व पालिका अध्यक्ष चुनने में तकनीकी दिक्कत आने की आशंका से इंकार नहीं किया जा रहा है।

अभी दुर्ग निगम के 60 वार्डों में चुनाव कराया गया है। इसमें कांग्रेस व भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियो के साथ कुछ निर्दलीय भी चुनाव जीतने की स्थिति में है। मतगणना के बाद निर्वाचित पार्षदों की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इसके बाद इन्ही 60 नवनिर्वाचित पार्षद महापौर का चुनाव करेंगे। कांग्रेस व भाजपा के पार्षदों की संख्या उन्नीस-बीस होने की स्थिति में निश्चित तौर पर दोनों ही पार्टी महापर चुनाव में हिस्सा लेगी। इस दौरान अगर दोनों ही महापौर प्रत्याशी को 30-30 मत मिलते हैं तो फिर अंतिम निर्णय कैसे होगा यह सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है। जिले के कुम्हारी व अहिवारा नगर पालिका सहित पाटन, उतई व धमधा नगर पंचायत के वार्डों की संख्या भी सम होने इन निकायों में भी ऐसी विकट हालात सामने  सकते हैं।

यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि इससे पहले के चार निकाय चुनाव में महापौर व अध्यक्ष का निर्वाचन प्रत्यक्ष मतदान से होता रहा। वहीं निगम में  सभापति तथा नगर पालिका व नगर पंचायत में उपाध्यक्ष का निर्वाचन पार्षदों के बहुमत से होता था। इस दौरान सभापति अथवा उपाध्यक्ष के दो प्रत्याशियों को एक समान पार्षदों का मत मिलने की स्थिति में महापौर या अध्यक्ष द्वारा निर्णायक वोट डालकर विजेता का फैसला किया जाता था।

Related Articles

Back to top button