बिलासपुर जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान ने मनरेगा के 11 लाख रुपये में नियमविरुद्ध बनवा ली सड़क प्रतिबंधित मुरुम रोड का निर्माण कर फार्म हाउस के लिए बनाया रास्ता।
भूपेंद्र साहू ब्यूरो चीफ 96 91 444 583
बिलासपुर जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान ने मनरेगा के 11 लाख रुपये में नियमविरुद्ध बनवा ली सड़क जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान पर नियमविरुद्ध तरीके से मनरेगा के 11 लाख रुपये की राशि से फार्म हाउस के लिए सड़क निर्माण करने का गंभीर आरोप है। प्रतिबंधित मुरुम रोड का निर्माण किया गया है। हालांकि अध्यक्ष ने पूरे मामले पर नियमानुसार काम होने का दवा किया है।
रोजगार गारंटी योजना के तहत जनहित में करोड़ों रुपये का निर्माण कार्य भी स्वीकृत किए जाते हैं, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष ने रोजगार गारंटी योजना की राशि का दुरुपयोग जमकर किया। मई 2020 में तखतपुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत भरारी के अपने ही फार्म हाउस में करीब 11 लाख रुपये की राशि से मिट्टी मुरुम रोड के साथ नाला स्लैब कलवर्ट बनवा लिया। पूरा काम निजी भूमि पर किया गया जबकि जबकि मनरेगा के तहत प्रावधान है कि कार्य शासकीय भूमि पर ही किए जाएं।
साथ ही इसके तहत मनरेगा के तहत मुरूम रोड़ निर्माण कार्य करीब 5 साल पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके बाद भी यह काम कराया गया। खास बात है कि इन दोनों कामों के लिए पंचायत से प्रस्ताव भी नहीं लिया गया है और कार्य स्वीकृति करा ली गई।
इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्ष अरूण सिंह ने मई 2020 में मिट्टी मुरूम रोड़ निर्माण 4 लाख 38 हजार रुपए का कपसियाकला मुख्य मार्ग से नाला तरफ 3 सौ मीटर व 6 लाख 44 हजार रुपए का उसी रोड़ में नाला स्लेब कलर्वट बनाने के लिए जिला पंचायत से प्रशासकीय स्वीकृती कराई।
जिला पंचायत के आदेश क्रमांक-105, व आदेश क्रमांक-81 मई 2020 को दोनों कार्यो की स्वीकृति की बात है। इस पर जनपद पंचायत द्वारा 30 मई 2020 को ग्राम पंचायत को कार्य आदेश जारी किया गया था। यहां भी गड़बड़ी की गई और ग्राम पंचायत को कार्य आदेश जारी होने के बाद भी निर्माण किसी और से करवाया गया।
विभागीय इंजीनियर से कराया पूरा काम
प्रावधानों की बात करें तो मनरेगा के कार्यो की स्वीकृति के लिए संबंधित पंचायत का प्रस्ताव आवश्यक होता है, लेकिन इस कार्य में पंचायत का प्रस्ताव नहीं लिया गया है। साथ ही सड़क कहां से कहां तक बनेगी इसका भी प्रस्ताव और स्वीकृति में उल्लेख नहीं किया गया है।
पूरे मामले में जब ग्राम पंचायत भरारी से जानकारी ली गई तब सरपंच का कहना था की मिट्टी मुरूम रोड़ और नाला में स्लेब कलवर्ट निर्माण पंचायत द्वारा नहीं कराया गया है। गांव के अन्य लोगों से जानकारी मिली कि विभागीय इंजीनियर द्वारा स्वयं निर्माण कार्य करवाया गया है,जो की नियमों का अवहेलना है।
मनरेगा और पंचायत अधिनियम का उल्लंघन
पूरे मामले में नियमों की बात करें तो जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा रोजगार गारंटी के साथ ही पंचायत राज अधिनियम का भी उल्लंघन किया गया है, क्योंकि पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 में स्पष्ट उल्लेख है की कोई भी पदधारी अपने रिश्तेदार या फिर खुद के लिए अपनी स्थिति और प्रभाव का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उपयोग नहीं कर सकता। ना ही अपने किसी नातेदार को कोई आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए कोई कार्रवाई कर सकेगा। दूसरी ओर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 के प्रावधानों ने अनुसार कोई भी शासकीय कार्य शासकीय भूमि पर ही हो सकती है। जिला पंचायत अध्यक्ष अरूण सिंह द्वारा करीब 3 सौ मीटर मिट्टी मुरूम की सड़क अपने निजी भूमि में बनवाया गया है।
इस पूरे मामले की जानकारी ली जा रही है। मनरेगा प्रावधानों के बिपरीत कोई कार्य हुआ होगा तो कार्रवाई जरूर होगी। रोजगार गारंटी योजना के लिए पंचायत का प्रस्ताव जरूरी है।