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कब है मां अन्नपूर्णा का व्रत? बड़ा खास है इसका महत्व, मात्र 17 दिन में भर जाती है झोली!

वाराणसी: अन्न की देवी माता अन्नपूर्णा भक्तों की सभी मुरादें पूरी करेंगी. माता अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने का खास दिन आने वाला है. मार्गशीष माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि यानी 2 दिसम्बर से मां अन्नपूर्णा के महाव्रत अनुष्ठान की शुरुआत होगी. यह व्रत अनुष्ठान 17 दिनों तक चलेगा. ऐसी मान्यता है कि इस महाव्रत के प्रभाव से भक्तों को अन्न धन की कभी कमी नहीं होती है.

इस व्रत के पहले दिन काशी में स्थित माता अन्नपूर्णा देवी के दरबार में भक्तों का तांता लगा होता है. पहले दिन श्रद्धालु दर्शन के बाद 17 गांठ के धागे को हाथ के बाजू पर धारण करते हैं. मंदिर के महंत शंकर गिरी ने बताया कि महिलाएं इस घागे को बाएं और पुरुष इसे दाहिने हाथ में धारण करते हैं. यह व्रत 17 साल,17 महीने 17 दिनों का होता है.

जरूर करें इन नियमों का पालन

माता अन्नपूर्णा के इस महाव्रत में भक्तों को पूरे 17 दिनों तक अन्न का त्याग करना होता है. दिन में सिर्फ एक बार फलहाल का सेवन कर भक्त इस कठिन व्रत को रखते हैं. इस व्रत में बिना नमक के फलहाल ग्रहण किया जाता है. बताते चलें कि यह 17 दिवसीय महाव्रत 2 दिसम्बर से शूरू होकर 17 दिसम्बर तक चलेगा.

धन ऐश्वर्य की होती है प्राप्ति

काशी के ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि इस व्रत से माता अन्नपूर्णा प्रसन्न होती है और भक्तों की मनचाही मुरादें पूरी करती है. इतना ही नहीं इससे दैविक,भौतिक सुख की प्राप्ति होती है और घर परिवार में सम्पन्नता भी बनी रहती है. यही वजह है कि इस वाराणसी ही नहीं बल्कि पूर्वांचलभर के लोग इस कठिन व्रत और पूजा को पूरे श्रद्धाभाव से करते है.

(नोट: यह खबर धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषशास्त्र पर आधारित हैं. सबका संदेश इसके सत्यता की पुष्टि नहीं करता हैं.)

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