छत्तीसगढ़

मवेशियों के नियंत्रण, व्यवस्थापन और फसलों की सुरक्षा के लिए रोका-छेका अभियान,

मवेशियों के नियंत्रण, व्यवस्थापन और फसलों की सुरक्षा के लिए रोका-छेका अभियान,

गांव-गांव में आयोजित हुई गौठान समितियों की बैठक ,

फसल की सुरक्षा को लेकर किसान हुए चिंता मुक्त,

जांजगीर-चांपा,-रोका-छेका राज्य व्यापी अभियान के तहत आज जिले की ग्राम पंचायतों में गौठान समितियों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में पशुओं को नियंत्रण में करने तथा खेतों की ओर नहीं जाने देने और फसलों की सुरक्षा के महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
आज जिले की ग्राम पंचायत सिरीयागढ़ में गौठान समिति की आयोजित बैठक में पशुओं का रोका-छेका टीकाकरण सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक में हर स्थिति में फसलों को पशुओं से सुरक्षित रखने का निर्णय लिया गया इसी प्रकार ग्राम पंचायत भोजपुर, केरवाभाठ,हरदी, ग्राम पंचायत सिरियाडीह सहित जिले की अन्य ग्राम पंचायतों में रोका-छेका के लिए गौठान समितियों की बैठक आहूत कर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। ग्राम पंचायत भैसामुहान गोठान में पशु चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया।
छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरागत रोका-छेका व्यवस्था को राज्य सरकार द्वारा लागू कराने के सकारात्मक परिणाम आने लगे हैं। किसानों और पशुपालकों के चेहरे पर निश्चिंतता के भाव दिखने लगे हैं। मवेशियों से फसल की सुरक्षा को लेकर किसान निश्चिंत हुए है, वहीं मवेशियों के फसल चरने से होने वाले विवाद से पशुपालक भी मुक्त हुए है। इस अभियान के शुरू होने से ग्रामीणों में एक जुटता आयी है। वे निश्चिंत होकर खेती-किसानी में लग गए हैं। नगरीय क्षेत्रों में खुले में घुमने वाले स्वतंत्र मवेशियों को नियंत्रित किया जा रहा है। इससे सड़क दुर्घटनाएं, यातायात में बाधा जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।


मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के आव्हान पर गांव-गांव में रोका-छेका अभियान को सफल बनाने के लिए जनप्रतिनिधि किसान, पशुपालक, ग्रामीण जुट हुए हैं। इस परंपरागत व्यवस्था को पुनः लागू करने ग्रामीणों में खुशी का माहौल है। रोका छेका अभियान से मवेशियों को नियंत्रित कर फसल को सुरक्षित रखा जाएगा। फसलों को मवेशियों से सुरक्षित रखना किसानों के लिए बड़ी चुनौती का काम होता है। खेती में की गयी किसानों की मेहनत छुट्टे घूमने वाले मवेशियों से असुरक्षित रहती थी। रोका-छेका अभियान से फसलों को आवारा मवेशियों से सुरक्षा मिलेगी।

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