बिहान योजना से मिली नई उड़ान: दुर्गडीह की दिव्यांग जमुना पाटले बनीं लखपति दीदी

बिहान योजना से मिली नई उड़ान: दुर्गडीह की दिव्यांग जमुना पाटले बनीं लखपति दीदी
बिलासपुर, 26 जून, 2025/राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की बिहान योजना से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं अपने जीवन में बदलाव की नई कहानी लिख रही हैं, बिलासपुर जिले बिल्हा ब्लॉक के दुर्गडीह गांव की रहने वाली दिव्यांग जमुना पाटले के लिए यह योजना वरदान बन कर आई दिव्यांगता को मात देकर जमुना समूह की मदद से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनी है, और अब लखपति दीदी बन कर दूसरी महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही है। जमुना ने बताया एक वर्ष की उम्र में मैं घर के बने कुएं में गिर गई थी हादसे में जान तो बच गई लेकिन एक पैर गंभीर चोट के कारण क्षतिग्रस्त हो गया, बचपन संघर्षों में बीता, जहां लोग कहते कि आगे इसके जीवन का क्या होगा, कौन हाथ थामेगा, जीवन कैसे चलेगा। लेकिन बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लिया। एक पैर से ही सिलाई का काम सीखा और अपनी आजीविका कमाने लगी। पिता के देहांत के बाद अपनी मां का भी सहारा बनी। जमुना ने बताया कि गांव में बिहान योजना से जुड़कर आत्मविश्वास और बढ़ा। अपने समूह सहोदरा स्व सहायता समूह के माध्यम से सामुदायिक निवेश कोष (CIF) से ऋण मिला जिससे अपने व्यवसाय की नींव रखी और बेहतर आय अर्जित कर अब लखपति दीदी बन गई हैं।
जमुना ने बताया कि समूह से ऋण मिलने पर उन्होंने अपना फैंसी स्टोर और साथ ही रेडीमेड कपड़े की दुकान भी खोली है, इस व्यवसाय से उन्हें अच्छी आय अर्जित होती है, जिससे वह न केवल अच्छी आजीविका कमा रही है बल्कि बचत भी कर पा रही है। उनकी योजना धीरे-धीरे अपने व्यवसाय का विस्तार करने की है। जमुना अब अपने गांव में लखपति दीदी के रूप में पहचानी जाने लगी है।
जमुना कहती है कि, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के भरपूर अवसर मिल रहे हैं। मुझे खुशी है कि मैं भी इसका हिस्सा बन सकी और दिव्यांगता के बावजूद आत्मनिर्भर बन सकी।
उल्लेखनीय है कि बिहान योजना ने जहां महिलाओं को संगठित किया, वहीं उनके भीतर छिपी उद्यमिता की भावना को भी प्रोत्साहित किया है, जमुना पाटले जैसी कई महिलाएं हैं जो बिहान से जुड़कर आर्थिक रूप से सशक्त बनी है जमुना जैसी महिलाओं की सफलता यह सिद्ध करती है कि यदि अवसर और उचित मार्गदर्शन मिले तो ग्रामीण महिलाएं भी आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बन सकती हैं।