UNESCO World Heritage Center: दुनिया में मध्यप्रदेश की धरोहरों की धमक, इन 6 जगहों को यूनेस्को ने अस्थायी सूची में किया शामिल
भोपालः दुनिया में एक बार फिर मध्यप्रदेश की धाक बढ़ी है। प्रदेश के 6 ऐतिहासिक स्थलों को यूनेस्को ने अस्थायी सूची में जगह मिली है। इनमें ग्वालियर किला, धमनार का ऐतिहासिक समूह, भोजेश्वर महादेव मंदिर, चंबल घाटी के रॉक कला स्थल, खूनी भंडारा, बुरहानपुर, और रामनगर, मंडला का गोड स्मारक शामिल हैं। तो चलिए जानते हैं इन जगहों के बारे में….
ग्वालियर किला
अपनी अभेद्य सुरक्षा के लिए प्रसिद्ध ग्वालियर किला एक पहाड़ी पर स्थित है, जहां से शहर व आसपास का मनमोहक दृश्य नजर आता है। अपनी 10 मीटर ऊंची दीवारों के साथ यह किला उत्कृष्ट मूर्तियों एवं उल्लेखनीय वास्तुकला से सुसज्जित है। इतिहासकारों के अनुसार ग्वालियर किले की सबसे पहली नींव छठी शताब्दी ईस्वी में राजपूत योद्धा सूरज सेन ने रखी थी। तोमर शासकों ने 1398 में इस किले पर कब्जा किया। प्रसिद्ध तोमर शासक मान सिंह ने किले परिसर के अंदर कई स्मारकों का निर्माण कराया था।
मंदसौर की धमनार गुफाएं
धमनार गुफाएं मंदसौर जिले के धमनार गांव में स्थित हैं। यहां पर मौजूद 51 गुफाओं का निर्माण चट्टानों को काटकर किया गया है। इसे 7 वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था। इस स्थल में बैठे हुए और निर्वाण मुद्रा में गौतम बुद्ध की विशाल प्रतिमाएं मौजूद है। उत्तरी किनारे पर स्थित चौदह गुफाओं में ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, जिनमें बारी कचेरी (बड़ा प्रांगण) और भीमा बाज़ार उत्कृष्ट हैं। बारी कचेरी गुफा 20 फीट वर्गाकार है और इसमें एक स्तूप और चैत्य शामिल हैं। बरामदे में लकड़ी की वास्तुकला के साथ एक पत्थर की रेलिंग शामिल है।
भोजेश्वर महादेव मंदिर, भोजपुर
राजधानी भोपाल से लगभग 28 किमी दूर स्थित भोजेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। एक ही पत्थर से उकेरे गए शिवलिंग की परिधि लगभग 6 मीटर की है। इसके साथ ही यह 2.35 मीटर लंबा है। इसकी अद्भुत वास्तुकला की वजह से इसे ‘पूर्व का सोमनाथ’ की उपाधि दी गई। भोजपुर गांव में एक पहाड़ी पर राजा भोज ने 1010 से 1053 ईस्वी के बीच निर्माण का आदेश दिया था। हालांकि, मंदिर कभी भी अपने पूर्ण निर्माण तक नहीं पहुंच पाया।
रॉक आर्ट साइट ऑफ द चंबल वेली
मध्यप्रदेश में कई स्थानों पर रॉक कलाएं मौजूद हैं, इसमें से एक स्थान चंबल घाटी भी है। यहां प्राकृतिक चट्टानों पर रॉक कलाएं पाई गई हैं, जो पुरातत्व में रूचि रखने वाले पर्यटकों को खूब लुभाती हैं। यहां की राक कला दैनिक जीवन, धार्मिक अनुष्ठानों और शिकार प्रथाओं के दृश्यों को दर्शाती है।
खूनी भंडारा, बुरहानपुर
अपनी तरह की अनोखी जल आपूर्ति प्रणाली के प्रसिद्ध खूनी या कुंडी भंडारा बुरहानपुर जिले में स्थित है। यह 407 साल पहले तैयार की गई थी। इसका निर्माण 1615 में बुरहानपुर के शासक रहे अब्दुर्रहीम खानखाना ने करवाया था।
गोंड स्मारक, मंडला, रामनगर
मंडला जिले का रामनगर गोंड राजाओं का गढ़ हुआ करता था। सन् 1667 में गोंड राजा हृदय शाह ने नर्मदा नदी के किनारे मोती महल का निर्माण करवाया था। सीमित संसाधन और तकनीक के बावजूद पांच मंजिला महल राजा की इच्छाशक्ति की गवाही देता है। समय के साथ दो मंजिलें जमीन में दब गई हैं लेकिन तीन मंजिलें आज भी देखी जा सकती हैं।