छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत की चौकड़ी, रणनीति, तेवर, जोश और विश्वास, ओबीसी फेस-सीएम की रेस
रायपुर. जहां धुरंधर राजनीतिक पंडित मानकर चल रहे थे कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार वापिसी करेगी, वहीं बीजेपी की प्रचंड जीत ने उन सभी को ग़लत साबित कर दिया. इस शानदार जीत का सबसे बड़ा कारण भी बीजेपी मुख्यालय में लगे होर्डिंग से सामने आ गया. होर्डिंग में लिखा था कि ”सपने नही हकीकत बुनते हैं तभी तो सब मोदी को चुनते हैं”. भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं का स्पष्ट तौर पर मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी, गृहमंत्री अमित शाह की रणनीति और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ में फिर कमल खिलाने का काम किया. हालांकि, इस जीत में भाजपा की चौकड़ी की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
सूत्रों की मानें तो इन सभी के अलावा इस प्रचंड जीत के पीछे इन नेताओं के निर्देश पर काम कर रही चौकड़ी ने छत्तीसगढ़ में कमल खिलाने में अहम भूमिका निभाई. ये चौकड़ी सीधे केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश पर छत्तीसगढ़ को मथने का काम कर रही थी. इस चौकड़ी ने ऐसा रंग जमाया कि मतदान से पहले अपराजेय लग रही भूपेश बघेल की सरकार चुनाव परिणामों में चारो खाने चित हो गई. इससे भी बड़ी बात यह कि चुनाव परिणाम घोषित होने तक अंदरखाने की भगवा लहर को ताड़ पाने में बड़े बड़े सियासी जानकार भी गच्चा खा गए. आइए इस चौकड़ी के बारे में विस्तार से जानते हैं.
ओम माथुर- उजाड़ सियासी जमीन को सींचा
बीजेपी के बेहतरीन रणनीतिकार और क़द्दावर नेता माने जाते हैं ओम माथुर. सियासी तौर पर बंजर जमीन में कमल खिलाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह की पहली पसंद तौर पर माथुर का नाम सामने आता है. माथुर की शख्सियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी तो बनाए ही गए थे, लेकिन चुनाव आने के साथ ही चुनाव प्रभारी भी बना दिए गए, जबकि बीजेपी नेतृत्व हमेशा प्रदेश प्रभारी और चुनाव प्रभारी अलग-अलग नेताओं को बनाता रहा है.ओम माथुर- अचूक रणनीति से विरोधी धराशायी
ओम माथुर की वरिष्ठता और दबंग छवि का आलम ये रहा कि प्रदेश बीजेपी की गुटबाजी उभर कर सामने नहीं आई और उनके निर्देशों को बड़े से लेकर छोटे कार्यकर्ताओं ने निष्ठा के साथ माना. ओम माथुर ने आते ही संगठन में जान फूंकने के लिए पूरे प्रदेश में तूफ़ानी दौरे किए. महज 10 महीने पहले आये माथुर ने जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कायम किया और भूपेश सरकार को घेरने के लिए केन्द्रीय नेतृत्व के साथ मिलकर अचूक रणनीति बनाने का काम किया.
मनसुख भाई मांडविया-सीधा संवाद और सख्त तेवर
छत्तीसगढ़ चुनाव सह प्रभारी के तौर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख भाई मांडविया को जिम्मेदारी दी गई. मनसुख मांडविया को चुनावी रणनीति जमीन पर उतारने में माहिर माना जाता है. पिछले गुजरात चुनाव में भी रिकॉर्ड तोड़ जीत में उनकी बड़ी भूमिका रही थी. छत्तीसगढ़ चुनाव के समय में बूथ स्तर तक जाकर उन्होंने खुद बैठकें करके स्थानीय कार्यकर्ताओं से संपर्क कायम किया था. इसके अलावा केन्द्रीय नेतृत्व से सीधा संवाद और सख्त तेवर भी उनकी खासियत माने जाते हैं. मोदी सरकार द्वारा चलाई जा रही गरीबों के लिए स्वास्थ्य योजनाओं के बारे में भी उन्होंने जन जागरुकता बढ़ाई.
नितिन नवीन- युवाओं में जगा दिया जोश
बिहार बीजेपी के मौजूदा विधायक और बिहार गठबंधन सरकार में युवा केबिनेट मंत्री के तौर पर अपनी अलग छाप छोड़ चुके नितिन नवीन को प्रदेश सह प्रभारी बनाया गया था. नितिन नवीन ने अपनी छवि के अनुरूप आक्रामक रुख अपनाया. खासकर छत्तीसगढ़ के युवाओं को भूपेश सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतारने की योजना को अमलीजामा पहनाया. नितिन नवीन के नेतृत्व में ही गरीब विरोधी मुद्दों को लेकर विधानसभा का घेराव हो या विधायकों के घर के बाहर प्रदर्शन हों, इसमें काफी बड़ी संख्या में युवाओं की भागीदारी देखने को मिली
नितिन नवीन- गरीबों और वंचितों में जगाया विश्वास
गोठान मुद्दे को जब प्रदेश नेतृत्व गंभीरता से नहीं ले रहा था तब नितिन नवीन ने ही केन्द्रीय नेतृत्व को विश्वास में लेकर इस पर बड़ा अभियान शुरू करवाया. इसके साथ ही ग़रीबों, वंचितों को बीजेपी पर विश्वास दिलाने के लिए नारा दिया था कि बीजेपी का सीएम अपने बंगले में तब जाएगा जब पहली केबिनेट में गरीबों के आशियाने के बिल पर सिग्नेचर करेगा. साफ है कि उसका सियासी परिणाम आज सामने है.
अरूण साव- ओबीसी फेस और सीएम की रेस
छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष हैं और बिलासपुर से सांसद हैं. ओबीसी समुदाय से आते हैं और छात्र राजनीति से ही संगठन में सक्रिय हैं. ABVP के प्रदेश मंत्री भी रहे हैं, इसलिए इनकी अहमियत को देखते हुए चुनाव से पहले इनको प्रदेश टीम की कमान सौंपी गई. संघ परिवार में भी अच्छी पकड़ के चलते निचले स्तर पर पार्टी की नीतियों तक ले जाने का काम करने में इनकी मेहनत काम आई. लोरमी विधानसभा से अपनी सीट जीतने के साथ साथ पूरे प्रदेश में भूपेश सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का काम किया. अरूण साव सीएम बनने की रेस में भी हैं.