छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

नियमों में उलझा पार्षद निधि से लॉकडाउन में गरीबों मजदूरों को राशन वितरण

पूरी नही हो रही है किसी को भी उपकृत करने पार्षदों की मंशा
भिलाई । पार्षदों को अपनी निधि से राशन प्रदाय करने खोजने पर भी हितग्राही नहीं मिल रहे हैं। कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने घोषित लॉकडाउन में ज्यादा से ज्यादा लोगों को मदद करने पार्षदों का इरादा नियमों में उलझ गया है। वोट बैंक या अन्य किसी कारण से किसी को भी उपकृत करने पार्षदों की मंशा पूरी नहीं हो सकेगी।
कोरोना महामारी के चलते घोषित लॉकडाउन ने अनेक लोगों के कामकाज पर प्रतिबंध लगा रखा है। ऐसी स्थिति में लोगों को राशन का किट प्रदान करने पार्षदों को अपनी निधि का उपयोग करने की छूट सरकार ने प्रदान कर दी है। लेकिन इसके लिए जो नियम लागू किए गए हैं वह ऐसा है कि पार्षदों को हितग्राही खोजने पर बड़ी मुश्किल से एकाध दो मिल रहे हैं।
नगरीय प्रशासन विकास विभाग की ओर से निगम व पालिका के पार्षदों को प्रतिवर्ष विकास के लिए एक निश्चित राशि प्रदन की जाती है। कोरोना संक्रमण रोकने लॉकडाउन घोषित होते ही पार्षदों को अपनी निधि से वार्ड में जरुरतमंद परिवारों को राशन का किट प्रदान करने की छूट दे दी गई है। इस आधार पर नगर निगमों के पाषदों और एल्डरमेनों ने अपनी निधि से राशन खरीदी का प्रस्ताव दे दिया है। लेकिन इसके लिए जो नियम लागू किए गए हैं उससे पार्षदों का पसीना छूट रहा है।
दरअसल, नियमों के तहत शासकीय सेवा, शासकीय उपक्रम संस्थान की सेवा अथवा किसी भी तरह के पेंशन भोगी, एपीएल अथवा बीपीएल राशन कार्डधारी परिवार को पार्षद निधि से राशन का किट प्रदान नहीं किया जा सकता। ऐसे परिवारों को भी पात्रता नहीं मिलेगी, जिन्हें कोरोना के चलते लॉकडाउन के दौरान किसी संस्था, एनजीओ या अन्य किसी के द्वारा राशन का किट उपलब्ध कराया जा चुका है। अन्य प्रदेश के मजदूर, विद्यार्थी जो यहां ऐसे हो और कोई व्यवस्था नहीं हो वे स्वमेव पात्र होंगे। यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि भिलाई-दुर्ग के प्राय: सभी निकायों में ज्यादातर लोगों के पास बीपीएल श्रेणी का राशन कार्ड है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने अपने चुनावी वायदे के अनुरुप एपीएल राशन कार्ड से भी गैर बीपीएल परिवारों को सस्ते खाद्यान्न देना प्रारंभ कर दिया है। इस तरह से हर वार्ड में बिना राशन कार्ड वालों की संख्या गिनती की रह गई है। इसमें से भी कई परिवार ऐसे होंगे जो शासकीय सेवा या पेंशनभोगी होने की वजह से पार्षद निधि से मिलने वाले राशन किट की पात्रता से स्वमेव वंचित हो जाएंगे। कोरोना वायरस को लेकर लॉडाउन घोषित होने के बाद अनेक संस्था और एनजीओ के तरफ से जरुरतमंद परिवारों को राशन किट उपलब्ध कराा जा चुका है। ऐसे में पार्षदों में अपनी निधि से राशन किट प्रदाय करे को लेकर उलझन की स्थिति बन गई है।
नहीं मिल रहे हैं पात्रताधारी: लावेश
भिलाई-चरोदा नगर निगम के पार्षद लावेश कुमार ने बताया कि पार्षद निधि से उन्होंने 50 हजार रुपए का प्रस्ताव राशन किट के लिए दिया है। लेकिन उनके वार्ड में काफी मशक्कत के बाद महज पांच परिवार ही नियमों के तहत पात्रताधारी है। उन्होंने नियमों को शिथिल करते हुए पार्षदों के विवेक पर जरुरतमंदों को राशन किट बांटने की अनुमति प्रदान करने की मांग शासन प्रशासन से की है।
नियम को शिथिल करने की मांग
पार्षदों की मंशा है कि उनकी निधि से राशन किट प्रदाय करने के लिए जो नियम और दिशा निर्देश राज्य शासन ने जारी किया है उसे शिथिल किया जाए। वर्तमान नियम ऐसा है कि अनेक पार्षदों को उनके वार्ड में 50 हजार रुपए तक की खरीदी गई राशन किट को बांटने के लिए भी हितग्राही परिवार नहीं मिल पा रहे हैं। नियमों से स्पष्ट है कि बाहर से आकर ब्लॉकडाउन में फंसे लोगों को ही पार्षद निधि से राशन किट का लाभ दिया जा सकेगा। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या निकाय क्षेत्र में ही गिनती के होंगे।

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