*सांसारिक यात्रा एक दो दिन में पूरी हो जाती है,परन्तु मोक्ष का मार्ग लंबा है – ज्योतिष*

जैसे भारत का रुपया, यदि इंग्लैंड ले जाना हो, तो उसे यात्री लोग पाउण्ड में परिवर्तित करवा लेते हैं, ताकि वहां काम आए। ऐसे ही इस जन्म की धन/संपत्ति, यदि आपको अगले जन्म में ले जानी हो, तो उसे पुण्य में परिवर्तित करवा लीजिए, ताकि वहां काम आए।”
जैसे रेल सड़क विमान आदि से सांसारिक यात्राएं होती हैं, उनका एक लक्ष्य होता है। “ऐसे ही जीवन जीना भी एक यात्रा के समान है। यह आध्यात्मिक यात्रा है।”जब रेल सड़क अथवा विमान से सांसारिक यात्रा करते हैं, तो लक्ष्य मुम्बई दिल्ली इंग्लैंड जर्मनी अमेरिका आदि होता है। इसी प्रकार से जब जीवन की आध्यात्मिक यात्रा करते हैं, तो इसका लक्ष्य मोक्ष होता है। सांसारिक यात्रा एक दो दिन में पूरी हो जाती है। परन्तु मोक्ष का मार्ग लंबा है। वह एक जन्म में भी प्राप्त नहीं होता। अनेक जन्मों तक तपस्या करने के बाद मिलता है। यदि किसी को मोक्ष में पहुंचना हो, तो बार-बार जन्म लेकर तपस्या करके वह मोक्ष लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकता है।
जैसे रेल सड़क विमान आदि की सांसारिक यात्रा में धन संपत्ति की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे ही जीवन चलाने के लिए भी धन संपत्ति की आवश्यकता पड़ती है। *”जैसे इस जन्म में व्यक्ति को खाने पीने जीने और पढ़ाई लिखाई करने तथा तपस्या आदि करके मोक्ष तक पहुंचने के लिए बहुत सा धन संपत्ति चाहिए। ऐसे ही प्रत्येक जन्म में भी चाहिए।”
“अब इस जन्म में लोगों ने जो धन संपत्ति कमाई है, उसे यूं का यूं करेंसी नोट के रूप में, या जमीन मकान मोटर गाड़ी आदि के रूप में तो अगले जन्म में साथ ले जाने का कोई उपाय नहीं है।”हां, यदि इसे पुण्य के रूप में परिवर्तित करवा लिया जाए, तो अगले जन्म में साथ ले जा सकते हैं। जैसे इंग्लैंड यात्रा के समय यात्री लोग, भारत के रुपए को, पाउण्ड के रूप में परिवर्तित करवा लेते हैं।”
अर्थात यदि कोई व्यक्ति इस जन्म में खर्च करने के लिए आवश्यक धन संपत्ति अपने पास जमा कर ले, और जितनी अतिरिक्त संपत्ति हो, उसे परोपकार के उत्तम कार्यों में दान कर दे। *”जैसे वेद प्रचार में, वैदिक विद्वानों को, वैदिक संन्यासियों को, वैदिक गुरुकुलों में, वैदिक संस्थानों मे, वैदिक पुस्तक प्रकाशन में, कोई अस्पताल में, धर्मशाला में, अनाथालय गौशाला यज्ञशाला इत्यादि वैदिक प्रचार के कार्यों में दान दे दे, तो उसकी दान में दी हुई धन संपत्ति उत्तम पुण्य में परिवर्तित हो जाएगी। और यह पुण्य, उसको अगले जन्म में धनवान विद्वान माता पिता के घर में धन संपत्ति के रूप में परिवर्तित होकर वापस मिल जाएगा।”जैसे कि आज धनवान परिवारों में जो बच्चे जन्म लेते हैं, ये वही लोग हैं, जिन्होंने पिछले जन्म में धन संपत्ति का उत्तम कार्यों में दान किया था। पिछले जन्म में वे बीज बो कर आए थे, अब इस जन्म में उसकी फसल काट रहे हैं। इस प्रकार से सारी संपत्ति वापस मिल जाती है।”
ऐसा ऋषियों ने वेदों के आधार पर समझाया है। “यदि आप भी अपनी संपत्ति अगले जन्म में अपने साथ ले जाना चाहते हों, तो ऋषियों के बताए इस उपाय का लाभ उठावें।”
ज्योतिष कुमार।