प्रतिदिन की भांति आज भी संत राम बालक दास जी द्वारा उनके ऑनलाइन सत्संग का आयोजन

प्रतिदिन की भांति आज भी संत राम बालक दास जी द्वारा उनके ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई संचालन ग्रुप में प्रातः 10:00 से 11:00 बजे और दोपहर 1:00 से 2:00 बजे किया गया जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किए
आज के सत्संग परिचर्चा में पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी असाध्य रोगों से मुक्ति एवं अकाल मृत्यु से बचने महामृत्युंजय जप को संजीवनी बूटी की तरह माना जाता है। कृपया इस मंत्र की महत्ता के बारे में बताने की कृपा करेंगे महाराज जी, इस विषय पर बाबा जी ने कहा कि यह मृत्युंजय मंत्र कलयुग में औषधि रूप है, एवं अति फलदाई भी है, दैहिक दैविक और भौतिक तीनों ताप को दूर करने के लिए इस मंत्र के अलग-अलग रूप से अनुष्ठान है किसी मे केवल जाप, किसी में केवल उच्चारण तो किसी में माला से जाप किसी में करमाला है तो किसी में बेलपत्र से मंत्र जाप सहित आहुति होती है तो किसी में भगवान शिव को एक-एक मंत्र से एक-एक बिल्वपत्र चढ़ाया जाता है तो किसी में एक एक भोजपत्र में इस मंत्र को लिखकर जल में या अग्नि में छोड़ना होता है ऐसे विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान इस मंत्र के साथ होते हैं इस संजीवनी मंत्र में कहा जाता है कि अकाल मृत्यु को हरने की क्षमता है, इसीलिए सभी को यह मंत्र जीवन में अवश्य करना चाहिए इसी मंत्र के जाप के द्वारा मार्कंडेय ने यमराज पर विजय प्राप्त की थी
परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने पुनः जिज्ञासा रखते हुए पूछा कि मौन व्रत की जीवन में क्या महत्व है, मौन व्रत के महत्व को स्पष्ट करते हैं बाबा जी ने बताया कि, मौन व्रत पर श्री कृष्ण जी ने बहुत अच्छी बात गीता में कही है मैं बोलने वालों में मौन हूं अर्थात मौन रहकर भी बहुत कुछ बोल देता हूं गोस्वामी तुलसीदास जी मौन शब्द पर कहा है कि जब कोई किसी से प्रेम करता है प्रीत करता है और वह निश्चल और निष्काम होती है तो वह इसे इस जुबान से बोलने की जरूरत ही नहीं पड़ती वह आंखों से ही सब कुछ कह देता है बोलकर कुछ कहा जाए उससे अधिक आप भावनाओं को स्थान प्रदान करें, ह्रदय की भाषा, भावनाओं का चेहरे से प्रगट हो जाना जैसे श्याम सलोने का निर्मल रूप यदि आप भाव भक्ति में डूब कर देखें तो वह भी आपसे बहुत कुछ कह सकते हैं और आप उनकी भक्ति में डूबे हैं तो आप भी उनके सभी भावो को सुन सकते हैं
रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि, हमारी जुबान के पास देखने की शक्ति नहीं होती और नैनो के पास बोलने की शक्ति नहीं होती, जो देख रहा है वह बोल नहीं सकता और जो बोल रहा है वह देख नहीं सकता तो जरूरी नहीं हर चीज बोल कर या बता कर ही कहीं जाये, भावो का संप्रेषण ही महत्वपूर्ण है सभी को मौन व्रत करना चाहिए परंतु इसके लिए अनुकूल स्थिति होनी चाहिए यदि आप अपने कर्मों की पूर्ति नहीं कर पाए हैं तो यह व्यर्थ सिद्ध होगा क्योंकि इससे आप अपनी आत्मिक शांति को प्राप्त कर लेंगे परंतु दूसरे इस से व्याकुल या व्यथीत हो सकते हैं तो वह व्रत व्यर्थ ही सिद्ध होगा विवेकानंद जी ने कहा भी है कि कोई भी कर्म या धर्म उसी प्रकार किया जाना चाहिए जिसमें कभी किसी का भला हो, आप दिन में एक या डेढ़ घंटा अवश्य रूप से मौन रह सकते हैं इसके लिए आप किसी को परेशानी ना हो इसलिए पूजा पाठ का समय चयन कर सकते हैं इससे आपकी जीवन शक्ति और जीवन ऊर्जा तो बढ़ेगी ही साथ में आत्मिक शांति भी आप महसूस करेंगे
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इस प्रकार आज का आनंददायक सत्संग पूर्ण हुआ
जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम