धर्मान्तरित आदिवासियों को आरक्षण लाभ नहीं देने की मांग को लेकर निकाला गया पैदल मार्च
दुर्ग- जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा धर्मान्तरित जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाने और उनकी आरक्षण सुविधा को समाप्त करने की मांग को लेकर पैदल मार्च निकाला गया ! जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से कलेक्टर कार्यालय तक हाथों में बैनर लिए अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जनजाति सुरक्षा मंच की इस मांग का समर्थन किया ! महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर भूरे को ज्ञापन दिया गया !
सौंपे गए ज्ञापन में लिखा है कि- धर्मान्तरित जनजातियों को आरक्षण सुविधायें दिये जाने के विरुध्द तत्कालीन बिहार (वर्तमान झारखण्ड) के जनजाति नेता एवं लोकसभा सदस्य/ केंद्रीयमंत्री स्व. कार्तिक उरांव जी द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी को 1970 में एक आवेदन दिया गया था। इस बात को 50 वर्ष पुरे हो चुके हैं। जनजाति समाज की अवस्था को देखकर उन्हें जो पीड़ा हुई उसे व्यक्त करने हेतु उनके द्वारा “20 वर्ष की काली रात” नामक पुस्तिका भी लिखी गयी थी।
उस आवेदन को ना लोकसभा के पटल पर रखा गया था, ना ही उसको खारिज किया था, बल्कि उसको ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 235 लोकसभा सदस्यों के हस्ताक्षरों से युक्त उस आवेदन के सम्बन्ध में आज स्व. कार्तिक उरांव जी के जन्म दिवस के अवसर पर आपश्री के माध्यम से सरकार को पुनः याद दिलाना आवश्यक हो गया है।
वह आवेदन 1967 के अनुसूचित जाति / जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक की जे.पी.सी. की अनुशंसा के समर्थन में किया गया था। उक्त आवेदन निम्नलिखित वाक्यों को संशोधन के रूप में जोड़ने का प्रस्ताव रखा था – वह इस प्रकार थी :”(2अ) कंडिका 2 में निहित किसी बात के होते हुये भी कोई भी व्यक्ति जिसने जनजाति आदिमत तथा विश्वासों का परित्याग कर दिया हो और ईसाई या ईस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया हो वह अनुसूचित जनजाति का सदस्य नही समझा जायेगा।( पृष्ठ 29 , पंक्ति 38 की अनुसूची कंडिका (2अ))।
इस प्रकार का एक संशोधन 1950 में अनुसूचित जातियों के सम्बन्ध में किया गया वह इस प्रकार था –
” 3 कंडिका 2 में निहित किसी बात के होते हुए कोई भी व्यक्ति सिख या हिन्दू धर्म को छोड़कर अन्य कोई धर्म ग्रहण करता हो वह अनुसूचित जाती का नही समझा जायेगा ।
भारतीय अधिनियम 1935 के अंतर्गत भारतीय ईसाई की परिभाषा में यह कहा गया है की भारतीय ईसाई वह होगा जो कोई भी ईसाई पंथ को मानता हो और यूरोपीय या आंगलो – इंडियनन हो। इसके अनुसार अनुसूचित जनजाति से जब एक व्यक्ति ईसाई धर्म में धर्मांतरित हो जाता है, स्वाभाविक रूप सेवहव्यक्ति भारतीय ईसाईकीश्रेणीमेंआएगाअतःउसकोकिसी भी प्रकार की आरक्षण की सुविधाएँ देना असंवैधानिक माना जायेगा।
वास्तविक जनजातियों के साथ हो रहे इस अन्याय के खिलाफ जनजाति सुरक्षा मंच वर्षों से लड़ते आया है। अभी तक बहुत से सुविधाओंका धर्मांतरित लोगों द्वारा उपभोग किया जाता रहा है जो आर्थिक और शैक्षिणक दृष्टि से वास्तविक जनजातियों से तुलना में काफी कुछ अच्छे स्थिति में है। जनजाति सुरक्षा मंच यह मांग करता है कि काफी विलंब हो चुकने के बावजूद उपर बताये गये दिशा में संशोधन करना अत्यंत आवश्यक हैं।
– इस संबंध में जनमत संग्रह करने हेतु जनजाति सुरक्षा मंच ने 2015 में एक हस्ताक्षर अभियान चलाया था जिसमें देशभर के 18 वर्ष ऊपर के आयुवाले 27.67 लाख जनजाति लोगों ने हस्ताक्षर किया । स्व. जगदेव राम उराँव जी, स्व.दिलीप सिंह भूरिया जी एवं श्रीमती अनुसुईया जी उइके (तत्कालीन राज्यसभा सदस्य एवं वर्तमान छत्तीसगढ़ के राज्यपाल) के नेतृत्वमें देशभर के जनजाति नेताओं के एक प्रतिनिधि मंडल ने । तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभादेवीसिंह पाटिल को मिलकर यह जनमत संग्रह का आवेदन सौपा था । पर हमें निराश करते हये 27.67 लाखजनजाति लोगों की मनोकामना – न्यायोचित मांग को संज्ञान में लेने या आवश्यक कदम उठाने का कोई प्रयास दिखाई नहीं दिया।
हाल ही में लोकसभा के एक सदस्य के द्वारा इस विषय को उठाने का सराहनीय कदम स्वागत करने योग्य है। देश की आजादी के 73 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज भी धर्मांतरित जनजातियों के लोग आरक्षण की सुविधा का भरपूर-अधिकतम-अनुचित लाभ उठा रहे है।
पांच दशकों से लंबित इस समस्या के समाधान हेतु प्राथमिकता के आधार पर अनुसूचित जनजातियों के साथ हो रहे इस अन्याय को हमेशा के लिए समाप्त कर धर्मांतरित लोगों को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाने हेतु शीघ्र ही आवश्यक संशोधन करें ताकि वास्तविक जनजाति के जीवन में 73 वर्ष से छाए हुए अँधेरे को हटाते हुये आशा की नई किरणें उनके जीवन में प्रवाहित हो सकें।
इस दौरान जनजाति सुरक्षा मंच की अध्यक्ष श्रीमती पुष्पलता नेताम, आशीष कुमेटी, दिलेश्वर उमरे , पवन केसवानी, अमित जीवन, शिरीष अग्रवाल,पार्षद तुलसी ध्रुव ,रेखा देशपांडे,महेश यादव, देवेन्द्र लहरी, संतोष तिवारी, प्रमोद वाघ,गणेश शंकर देशपांडे,अश्वनी नागले,देशदीपक सिंह आदि अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विशेष सहभागिता प्रदान की !