छत्तीसगढ़

सिम्स में हाइडेटिड सिस्ट का पाँचवाँ सफल दूरबीन ऑपरेशनलैप्रोस्कोपी से बनी बड़ी सर्जरी भी सुरक्षित, मरीज हुई जल्द स्वस्थ

सिम्स में हाइडेटिड सिस्ट का पाँचवाँ सफल दूरबीन ऑपरेशन
लैप्रोस्कोपी से बनी बड़ी सर्जरी भी सुरक्षित, मरीज हुई जल्द स्वस्थ

छत्तीसगढ़ बिलासपुर भूपेंद्र साहू ब्यूरो रिपोर्ट/ 25 नवम्बर 2025/छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) बिलासपुर ने जटिल सर्जरी के क्षेत्र में एक और बड़ी कामयाबी दर्ज की है। सर्जरी विभाग की टीम ने दूरबीन (लैप्रोस्कोपिक) तकनीक का उपयोग करते हुए लिवर में मौजूद 10 सेंटीमीटर के हाइडेटिड सिस्ट को सुरक्षित रूप से निकाल दिया। यह सिम्स में इस तरह की पाँचवीं सफल लैप्रोस्कोपिक सर्जरी है।
मुंगेली की 20 वर्षीय तीजन नेताम पेट में भारीपन, भूख कम लगना और असहजता की शिकायत के साथ सिम्स पहुंची। सोनोग्राफी और सीटी स्कैन में लिवर के दाहिने हिस्से में बड़ा हाइडेटिड सिस्ट पाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए सिम्स प्रशासन के मार्गदर्शन में इसे दूरबीन पद्धति से ऑपरेट करने का फैसला लिया गया।

विशेषज्ञ टीम ने बिना जटिलता के पूरा किया ऑपरेशन
सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. ओ.पी. राज के नेतृत्व में डॉ. रघुराज सिंह, डॉ. बी.डी. तिवारी और डॉ. प्रियंका माहेश्वर की टीम ने ऑपरेशन को अंजाम दिया। एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. मधुमिता मूर्ति, डॉ. भावना रायजादा, डॉ. मिल्टन, डॉ. मयंक आगरे व पीजी रेजिडेंट्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना सिंह ने सटीक रिपोर्टिंग कर सर्जरी में अहम सहयोग दिया। ओटी स्टाफ सिस्टर योगेश्वरी, संतोष पांडे और अश्वनी मिश्रा का काम भी सराहनीय रहा। लैप्रोस्कोपिक तकनीक की वजह सेबहुत कम चीरा लगा,रक्तस्राव लगभग नगण्य रहामरीज जल्द ही सामान्य दिनचर्या में लौट सकती है

क्या होता है हाइडेटिड सिस्ट?
यह एक परजीवी संक्रमण है, जो इकाईनोकोकस ग्रेन्यूलोसस (कुत्ता फीता कृमि) के कारण होता है। यह आमतौर पर लिवर और फेफड़ों को प्रभावित करता है। संक्रमण अक्सर दूषित पानी, संक्रमित भोजन, और कुत्तों-भेड़ों के संपर्क से फैलता है।

मुख्य लक्षण – पेट दर्द, भारीपन, भूख कम लगना, जल्दी पेट भरने का एहसास इसके मुख्य लक्षण है। गहरे और बड़े सिस्ट लीवर की कार्यप्रणाली पर असर डालते हैं और फटने पर ऐनाफाइलैक्सिस जैसी जानलेवा स्थिति भी बन सकती है। स्वच्छ पानी, साफ भोजन और राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत क्रीमनाशक दवाओं का सेवन कर इस रोग से बचाव किया जा सकता है।

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