सभी जीवों पर दया करो। जैसे आप लोग उस मालिक के बच्चे हो वैसे ही जीव-जन्तु,पशु-पक्षी, भी परमात्मा के बच्चे हैं-बाबा उमाकान्त जी महाराज
*सभी जीवों पर दया करो। जैसे आप लोग उस मालिक के बच्चे हो वैसे ही जीव-जन्तु,पशु-पक्षी, भी परमात्मा के बच्चे हैं-बाबा उमाकान्त जी महाराज*
सबका सँदेश कान्हा तिवारी –
इसी मानव मंदिर में जीते जी भगवान और देवी-देवताओं के दर्शन का सीधा और सरल मार्ग बताने वाले उज्जैन से पधारे वर्तमान के पूरे सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज जी ने 7 फरवरी 2021 शाम 4:00 बजे बाबा जय गुरु देव आश्रम,
अमरावती, महाराष्ट्र में सत्संग सुनाते हुए बताया की ज्ञान और बुद्धि कब फेल होती है। सोचने-समझने की बुद्धि कब सही रहती है? जब सत्संग मिलता है, जब सन्त मिलते हैं। पहले इसीलिए तो लोग खोज करते गुरु की, तलाश करते थे। जब हमको सतगुरु मिल जाएंगे तब गृहस्ती में रहने का तरीका भी बता देंगे और हमारी जीवात्मा के कल्याण का रास्ता भी बता देंगे। हमारी यहां भी मदद हो जाएगी और वहां भी मदद हो जाएगी। इसीलिए खोज करके गुरु को अपनी उंगली लोग पकडाते थे। गुरु को अपना हाथ लोग पकडाते थे। अब आप समझो इसीलिए कहां गया:
*गुरु बिन भव निधि तरे न कोई।
जो बिरंच शंकर सम होई।।*
चाहे ब्रह्मा या शिव के समान कोई होगा लेकिन बगैर गुरु के पार नहीं हो सकता। कबीर साहब ने तो यहां तक कह दिया कि
*निगुरा मुझको ना मिले, पापी मिले हजार।
एक निगुरा के शीश पर, लख पापी का भार।।*
निगुरा किसको कहते हैं? जिसको समरथ गुरु नहीं मिलते है, जानकार गुरु नहीं मिलते है वह निगुरा होता है। जो गुरु नहीं करता है उसको यही नहीं पता है कि पुण्य क्या है, पाप क्या है? वह तो बस यही कहेगा कि मुर्गा चढ़ा दो देवी जी के सामने, बकरा काट के चढ़ा दो देवी जी के सामने, भगवान के सामने, जीव हत्या करो, उससे वह खुश हो जाएंगे, खून पियेंगे, खुश हो जाएंगे तब वह देवता हमको धन दे देंगे, पुत्र दे देंगे, परिवार में तरक्की करा देंगे। आप कोई ऐसे ही घर में पैदा हो गए जहां बलि चढ़ाई जाती है या ऐसे ही गुरु मिल गए जो मांस खाने वाले, उन्होंने कहा कि बलि चढ़ाओगे तभी तुम्हारी भक्ति पूरी होगी। तो आप यह समझो पाप से लद जाते हो क्योंकि जीव हत्या बहुत बड़ा पाप होता है। जो जानवरों को मारता है, काटता है, लाता है, पकाता है, खाता है, खिलाता है – सबको बराबर पाप लगता है। लेकिन आपको ऐसे गुरु मिल गए है जो कहते हैं की दया लाओ, दया धर्म है।
*दया धर्म तन बसै शरीरा।
ताकि रक्षा करें रघुवीरा।।*
महाराज जी ने कहा कि आप दया धर्म अपना लोगे तो वह मालिक जिसको रघुवीर कहा गया, परमात्मा कहा गया, गोस्वामी जी ने कहा, तब वह दया करेगा। जब तुम्हारे अंदर दया रहेगी तभी तुमको उसकी याद आएगी। तभी तुम यह समझोगे कि जो मैं यह हिंसा-हत्या कर रहा हूं इनके जीव की, जो मैं काट रहा हूं, वह देख रहे हैं। आज तो भगवान को ही लोग भूल गए जबकि भगवान तो सब जगह है।
*हरि व्यापक सर्वत्र शब्द समाना।
प्रेम से प्रकट होय मय जाना।।*
गोस्वामी जी महाराज ने कहा वह तो सब जगह हैं। लेकिन उनको ही लोग भूल गए। कोई मंदिर में खोज रहा, कोई मस्जिद में खोज रहा, कोई गिरजाघर में खोज रहा, कोई गंगा कृष्णा कावेरी नदियों में खोज रहा, कोई डुबकी लगाकर नदियों में खोज रहा, कोई अयोध्या में, कोई हरिद्वार में खोज रहा।
*मुझको कहां ढूंढे बंदे।
मैं तो तेरे पास में।।
कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूंढे वन माय।
ऐसे घट- घट राम है, दुनिया जानत नाय।।*
महाराज जी ने बताया कि वो भगवान, वो मालिक, वो परमात्मा आपके अंदर बैठा है। लोग उनको इधर-उधर ढूंढते हैं। अगर वह दिखाई पड़ जाएं इसी मनुष्य मंदिर में तब तो आपको विश्वास होगा। लेकिन जब आपको कोई रास्ता बताने वाला मिलेगा तभी। तो देखो ऐसे गुरु जो होते हैं जो लोक और परलोक दोनों बना देते हैं – हमेशा धरती पर ही रहते हैं। उन्हें सन्त सतगुरु कहा गया। धरती इनसे कभी भी खाली नहीं रही।
*घिरी बदरिया पाप की, बरस रहे अंगार।
संत न होते जगत में, तो जल मरता संसार।।*
अगर सन्त नहीं होते, सच्चे सतगुरु नहीं होते जग में तो संसार खत्म हो गया होता। अब यह बात जरूर है जब अत्याचार, पापाचार, दुराचार कम रहता है तब एक जगह बैठ कर के सृष्टि की संभाल किया करते हैं। और जब यह बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तब घूम-घूम कर के लोगों को बताते हैं, समझाते हैं, रास्ता देते हैं, रास्ते पर चलाते हैं और मंजिल तक पहुंचाया भी करते हैं।
।जयगुरुदेव।।
परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज,
आश्रम उज्जैन, मध्यप्रदेश, भारत