कम समय में अभियोग पत्र प्रस्तुत करने पुलिस अधिकारियों में मची है होड़, There is a competition among police officers for submitting a charge sheet in a short time
भिलाई। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश कुमार दुबे ने कहा कि, आजकल पुलिस विभाग मे एक नया चलन देखने मे आ रहा है, कम से कम समय मे गंभीरतम मामलों कि विवेचना पूरी कर न्यायालय मे अभियोगपत्र प्रस्तुत करने का पुलिस अधिकारियों मे इस बात की होड़ लगी है। एक विवेचक ने पोक्सो एक्ट के मामले की विवेचना 5 दिन मे पूरी कर अभियोगपत्र प्रस्तुत किया तो दूसरे ने बलात्कार के मामले की विवेचना कर अभियोगपत्र पेश करने मे सिफऱ् 4 दिन ही लिए। इन दिनों ऐसे किस्सों की भरमार है। विवेचना अधिकारी जहाँ खुद अपने कारनामे पर फूले नहीं समा रहे हैं। वहीं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी इस चलन को बढ़ावा देने मे पीछे नहीं है। सब अपनी पीठ खुद ही ठोक रहे हैं खुद को साबासी देने की कहानियाँं समाचार पत्रों मे छपवा कर गौरवांवित हो रहे हैं। समाचार पढ़, सुनकर आम जनमानस मे भी पुलिस की त्वरित कार्यवाही के चर्चे है और संतुष्टि का भाव भी। मुझे फिक्र इस बात की है, जब मामले का न्यायालय मे परीक्षण होगा, तब तीन चार दिनों मे पूरी की गई विवेचना और संकलित साक्ष्य कसौटी पर कितने खरे उतर सकेंगे? इस दौरान संकलित साक्ष्य की वैज्ञानिकता, वैधानिकता और नैसर्गिकता विधि और प्रक्रिया की कसौटी पर जब कसी जाऐगी तब इसकी गुणवत्ता का स्तर क्या होगा? बचाव पक्ष के अधिवक्ता के तौर पर आपराधिक मामलों के परीक्षण के दौरान मैने बार बार यह महसूस किया है कि, लचर विवेचना, साक्ष्य संग्रहण का अवैज्ञानिक ढंग,और साक्षियों का पुलिस द्वारा की गयी कार्यवाही से अनभिज्ञ होना हर बार अभियोजन के लिए घातक साबित हुआ है, जबकि ऐसे मामलों की विवेचना मे योग्य विवेचकों ने विवेचना हेतु विधि द्वारा अनुज्ञेय संपूर्ण अवधि का उपयोग कर लिया था।अनेक उदाहरण हैं जहाँ पुलिस ने रिकॉर्ड समय मे अभियोगपत्र पेश किया, सत्र न्यायालय ने सजा भी सुना दी। परंतु कहीं उच्च न्यायालय तो कभी उच्चतम न्यायालय की कसौटी पर कमतर साबित होने का लाभ आरोपी को ही मिला। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को इस चलन के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है।यह गहन गंभीर विषय है और हर कदम पर गंभीरता की मांग करता है। होड़ जल्दी अभियोगपत्र प्रस्तुत करने की नहीं बल्कि हर दृष्टि से पूर्ण व संतुलित अभियोगपत्र प्रस्तुत करने की हो ताकी कोई दोषी बच ना सके और कोई निर्दोष भी फंस ना सके।