भारत में विश्वगुरू बनने की क्षमता – उप मुख्यमंत्री श्री साव
सीयू में दो दिवसीय कुलपति समागम का समापन
भूपेंद्र साहू ब्यूरो चीफ 96 91 444 583
बिलासपुर – गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) में भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) मध्य क्षेत्र के दो दिवसीय कुलपति समागम का समापन समारोह आज आयोजित किया गया। समारोह में उप मुख्यमंत्री अरूण साव बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। समारोह की अध्यक्षता प्रो. जी.डी. शर्मा, अध्यक्ष भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने की। मंच पर, डॉ. श्रीमती पंकज मित्तल, महासचिव भारतीय विश्वविद्यालय संघ, प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल कुलपति गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर एवं प्रो. मनीष श्रीवास्तव, कुलसचिव गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर भी उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि श्री साव ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने के लिए भारतीय विश्वविद्यालय संघ द्वारा किये जा रहे कार्य प्रशंसनीय है। शिक्षा व संस्कृति के क्षेत्र में संघ के योगदान से शिक्षा में एकरूपता व समानता आ रही है। उन्होेंने कहा कि लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति ने हमारे मानसिकता को कमजोर किया है। अब हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप विश्वविद्यालयों में शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी। हम सभी जानते है कि भारत में विश्वगुरू बनने की क्षमता है। पिछले कुछ वर्षों में पूरी दुनिया में भारत का मान-सम्मान एवं स्वीकार्यता बढ़ी है। भारत को देखने का दुनिया का नजरिया बदला है। वह दिन दूर नहीं, जब भारत फिर से विश्व गुरू कहलाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आज विद्यार्थी तनावग्रस्त एवं अवसादग्रस्त हो रहे है। अनेक अप्रिय घटनाएं हो रही है। इसे रोकने की जरूरत है। इसका समाधान भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में हैं। उन्होंने छात्रों से आहृवान किया कि छात्र पढ़ाई को तनाव के रूप में न लें। छात्रों को कक्षा में आत्मविश्वास व ऊर्जा का माहौल मिले। छात्र को राष्ट्रभक्त एवं आत्मविश्वास से परिपूर्ण नागरिक बनाने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों की है।
कार्यक्रम माँ सरस्वती एवं गुरु घासीदास जी की पूजा अर्चना एवं दीप प्रज्जवलन के साथ प्रारंभ हुआ। तरंग बैंड के छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं कुलगीत की प्रस्तुति दी। इसके पश्चात् मंचस्थ अतिथियों का नन्हें पौधों से स्वागत किया गया। स्वागत उद्बोधन देते हुए गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने मंचस्थ अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि परिवार के सदस्य की तरह उप-मुख्यमंत्री अरूण साव का सहयोग हमेशा विश्वविद्यालय को मिलता है। श्री साव सच्चे अर्थो में लोकनायक एवं जननायक हैं। भारतीय विश्वविद्यालय संघ के सभी पदाधिकारियों का अभिनंदन करते हुए उन्होंने कहा कि यह संघ भारत ही नहीं, पूरे विश्व में अपनी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। यूनिवर्सिटी न्यूज की सम्पादक डॉ. एस. रमा देवी पाणी ने दो दिवसीय कुलपति समागम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। डॉ. श्रीमती पंकज मित्तल, महासचिव भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने गुरू घासीदास विश्वविद्यालय की मेजबानी की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस समागम में शामिल होने वाले सभी प्रतिभागियों का व्यक्तिगत रूप से ध्यान रखा गया। इसके लिए संघ विश्वविद्यालय का आभारी है। उन्होंने शोध एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने में विश्वविद्यालय की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि इसके लिए सात तरह के सहयोग की जरूरत है। शोध एवं नवाचार के लिए विश्वविद्यालयों को निवेश करना पड़ेगा। इसके लिए बजट में प्रावधान भी करना जरूरी है। शोध अनुदान के लिए सरकार पर पूरी तरह निर्भर न रहते हुए अन्य स्त्रोतों की संभावनाओं पर विचार करें।
प्रो. जी.डी. शर्मा, अध्यक्ष भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारत बदल रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप यहां की शिक्षा नीति भी बदल रही है। हमारा आत्मविश्वास विश्व में सबसे ऊपर रहा है। हम मानते रहे हैं कि जो कुछ हमारे पास है, वही श्रेष्ठ है। भारतीय ज्ञान परंपरा को अपनाते हुए अब नकारात्मकता को जड़ से खत्म कर सकारात्मक विचार लाने की आवश्यकता है। हमें विश्व गुरू बनने से कोई भी नहीं रोक सकता।
समारोह के मुख्य अतिथि श्री तत्पश्चात मंचस्थ अतिथियों को शॉल, श्रीफल से सम्मानित करते हुए स्मृति चिन्ह भेेंट किया गया। अंत में डॉ. आलोक मिश्रा, संयुक्त सचिव, भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गरिमा तिवारी, सहायक प्राध्यापक, वानिकी विभाग ने किया। कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षक एवं छात्र काफी संख्या में उपस्थित रहे।