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इस्पात मंत्रालय ने इस्पात क्षेत्र में आर्टिफि़शियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर चिंतन शिविर का आयोजन किया

इस्पात मंत्रालय ने इस्पात क्षेत्र में आर्टिफि़शियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर चिंतन शिविर का आयोजन किया

भिलाई। केंद्रीय इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने इस्पात क्षेत्र में कृत्रिम प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग को अपनाने और बढ़ाने के महत्व पर बल देते हुए कल नयी दिल्ली में एक चिंतन शिविर के आयोजन में अपने विचार रखे। इस चिंतन शिविर में केंद्रीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने भी शामिल थे। इस चिंतन शिविर में केंद्रीय इस्पात और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने इस्पात क्षेत्र के हितधारकों से अपने संबंधित इस्पात संयंत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के अनुप्रयोग को बढ़ाने का आग्रह किया है। केंद्रीय इस्पात मंत्री  ने इस्पात मंत्रालय द्वारा आज नई दिल्ली में आयोजित चिंतन शिविर को संबोधित करते हुए दोहराया कि चिंतन शिविर का उद्देश्य आर्थिक व्यवस्था को विकसित करने के प्रति हमारे दायित्व को समझना और हमारे बौद्धिक और ज्ञान के आधार को गहरा करना है, जिसे देश के विकासात्मक क्षेत्र में लागू किया जा सकता है। केंद्रीय इस्पात मंत्री सिंधिया ने कहा कि इस्पात निर्माण की पूरी अवधारणा में परिवर्तन आएगा और प्रथाओं को लगातार अद्यतन करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि जैसा कि दुनिया डेटा आधारित निर्णय लेने पर ध्यान दे रही है, भारतीय इस्पात उद्योग को आर्टिफि़शियल इंटेलिजेंस प्रौद्योगिकी और उनके अनुप्रयोगों को लागू करने में सबसे आगे रहने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस्पात क्षेत्र में हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हरित इस्पात और नवीनतम प्रौद्योगिकियों की अवधारणा को अपनाकर धरती माता की रक्षा करना हमारा प्रथम दायित्व है। उन्होंने भारतीय इस्पात बिरादरी को हरित परिवर्तन की लंबी राह पर चलते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के मंत्र को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने सत्र के दौरान अपने विचार व्यक्त करने वाले पैनलिस्टों/विशेषज्ञों के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि कार्बन सीमा समायोजन व्यवस्था (सीबीएएम) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर चर्चा और विचारों के आदान-प्रदान से हमारे ज्ञान में वृद्धि हुयी है, जिससे हमें इस्पात क्षेत्र को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों पर अपनी समझ को बेहतर बनाने में सहायता मिलती है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन के उपयोग से इस्पात क्षेत्र में मूल्य श्रृंखला, गुणवत्ता आश्वासन और ऊर्जा प्रबंधन को मजबूत और बेहतर बनाया जा सकता है। इस्पात मंत्रालय के सचिव श्री नागेंद्र नाथ सिन्हा ने इस बात पर बल दिया कि ज्ञान परिदृश्य तेजी से बदल रहा है और हमें प्रत्येक व्यक्ति को एक ज्ञान कार्यकर्ता बनाने की आवश्यकता है जो न केवल काम को समझता है बल्कि संगठन और राष्ट्र के लिए काम करते समय संदर्भ को भी बखूबी समझे। पैनल चर्चा के दौरान, विशेषज्ञों ने बताया कि अपने ग्रीन डील 2050 के हिस्से के रूप में, यूरोपीय संघ ने कुछ उत्पादों स्टील और एल्यूमीनिय मसहित के लिए कार्बन सीमा समायोजन व्यवस्था सीबीएएम के कार्यान्वयन का प्रस्ताव दिया है। कार्बन सीमा समायोजन व्यवस्था (सीबीएएम) यूरोपीय संघ प्रणाली के अंतर्गत वहन किए गए उत्पादों के बराबर आयातित उत्पादों पर कार्बन उत्सर्जन लागत लागू करेगा |  टाटा स्टील, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर, एएमएनएस और भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) के आर्टिफि़शियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञों ने कहा कि सरल लेकिन बेहद प्रभावी समाधानों के कई उदाहरण हैं जो उत्पादकता में सुधार, ऊर्जा खपत, सुरक्षा, संचालन के अनुकरण के लिए इसके अनुप्रयोगों, सेंसर और रोबोटिक्स, पूर्वानुमानित रखरखाव आदि के माध्यम से आधारित निगरानी की स्थिति में सुधार के लिए इस्पात क्षेत्र में तैनात किए गए हैं।

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