अजब गजब

बादशाह की दाढ़ी

बादशाह कासिम अपनी प्रजा की हिफाजत के लिए रात को भेष बदलकर अपने राज्य में घूमता था| एक बार बादशाह कासिम को 5 चोर मिले|

बादशाह ने उनसे पूछा – आप कौन हैं? उन्होंने जवाब दिया – हम चोर हैं| फिर एक चोर ने बादशाह से पूछा कि आप कौन हैं? बादशाह ने कहा – मैं भी चोर हूं|

 

 

 

इस पर चोरों ने बादशाह को अपने गिरोह में शामिल कर लिया| अब चोरी करने की सलाह हुई, लेकिन चोरी करने से पहले यह तय हुआ कि उन्हें अपने में से किसी एक को सरदार बनाना चाहिए| इस बात पर सभी चोर सहमत हो गए| सरदार चुनने के लिए जरूरी था कि सब अपना-अपना गुण बयान करें ताकि जिसका गुण सबसे अच्छा हो उसे ही सरदार चुना जाए|

 

पहले चोर ने कहा कि मैं ऐसी रस्सी का ऐसा फंदा लगाता हूं कि एक बार में ही रस्सी फंस जाती है|दूसरे ने कहा मैं सेंध लगाना बहुत अच्छी तरह से जानता हूं|तीसरे चोर ने कहा कि मैं सूंघकर बता सकता हूं कि माल कहां पर दबा हुआ है|चौथे ने कहा कि मैं जानवरों की बोली समझ सकता हूं कि वह क्या कहते हैं|पांचवें चोर ने कहा कि मैं जिसको रात में एक बार देख लेता हूं, दिन में भी उसकी पहचान कर लेता हूं|

 

 

 

बादशाह सोच रहा था कि मैं क्या कहूं? जब सारे चोर अपना अपना गुण बयान कर चुके, तब बादशाह ने कहा कि मेरी दाढ़ी में यह कमाल है कि चाहे कितने भी बड़े अपराध करने वाले चोर-डाकू फांसी पर चढ़ रहे हो, यदि मैं जरा सी दाढ़ी हिला दूं तो सब आजाद हो जाते हैं|

 

चोरों ने जब बादशाह का यह गुण सुना तो उनको यह गुण सबसे अच्छा लगा|उन्होंने बादशाह को ही अपना सरदार बना लिया| पास में ही उस बादशाह का महल था| उन चारों में यह सलाह हुई कि आज बादशाह के महल में चोरी करेंगे| बादशाह भी मजबूर था| जब वह सारे चोर महल की ओर चलने लगे तो रास्ते में एक कुत्ता भौंकने लगा|

 

 

 

चोरों ने चौथे चोर से पूछा कि यह क्या कहता है? उस चोर ने कहा कि यह कुत्ता कहता है कि हम में से एक बादशाह है| यह सुनकर सब जोर जोर से हंस पड़े, बादशाह भी हंस पड़ा|

 

महल में पहुंचकर पहले चोर ने फंदा लगाया| सारे चोर और बादशाह ऊपर चढ़ गए| दूसरे चोर ने सेंध लगाई तीसरे चोर ने सूंघकर खजाने का पता लगाया और चोरी करने के बाद सभी चोरों ने माल आपस में बांट लिया और अपने अपने घरों को चल दिए|

 

अगले दिन बादशाह ने अपने आदमी भेजकर चोरों को पकड़वा लिया और फांसी का हुक्म दे दिया| जब फांसी लगने लगी तो पांचवा चोर सामने आया और बादशाह से कहने लगा- हुजूर! मैंने आपको पहचान लिया है क्योंकि आप ही रात को हमारे साथ थे| हम पर रहम करो और हमें फांसी से बचा लो| हम सच्चे दिल से संकल्प लेते हैं कि आज से कभी भी चोरी नहीं करेंगे बल्कि आपकी सेवा में सारी उम्र लगा देंगे|

 

 

 

बादशाह ने अपनी दाढ़ी हिला दी और दाढ़ी हिलाते ही पांचो चोर फांसी के तख्ते से उतार लिए गए| वे पांचों चोर हमेशा के लिए आजाद होकर बादशाह की सेवा में लग गए|

 

सीख:-

ईश्वर भी किसी न किसी रूप में आकर यह हमारे जैसा बन कर हमें हमेशा सीधे रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है|

 

 

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