छत्तीसगढ़

संतान की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा हलषष्ठी का व्रत…।For the longevity of the child, the mothers kept the fast of Halashti.

संतान की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा हलषष्ठी का व्रत…।

कान्हा जायसवाल 9983437775

 

 

 


मुँगेली – प्राचीन मान्यताओं के अनुसार हलषष्ठी (हरछठ) तिथि को महिलाओं द्वारा व्रत रखने से उनके पुत्र सलामत और दीर्घायु के हो जाते है। इसी मान्यता के आधार पर माताएं अपने पुत्रों को कष्टों से बचाने और उनकी सलामती के लिए शहर समेत मुंगेली जिलेभर में मनाया गया। महिलाओं ने व्रत रखकर सगरी में जल अर्पित किया और भगवान शिव की विशेष पूजा की। इसके बाद पसहर चावल का सेवन कर उपवास तोड़ा।

हलषष्ठी पर्व जिले में धूमधाम के साथ मनाया गया। पूजा पाठ की तैयारी को लेकर महिलाएं सुबह से ही जुटी रहीं। बच्चों की सुख समृद्घि तथा दीर्घायु की कामना को लेकर माताओं ने व्रत रखा। हलषष्ठी के दिन को प्रमुख रुप से भगवान कार्तिकेय का जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर संतानधारी महिलाओं ने व्रत रखा और घरों के अलावा मंदिरों में भी पूजा पाठ का दौर सुबह से शाम तक चलता रहा। व्रती माताओं ने घर व मंदिर के सामने सगरी का निर्माण किया, जिसमें नदी, पर्वत की आकृति भी अंकित थी।
*व्रती महिलाएं* ने बताया कि कमरछठ पर्व पर संतान की लंबी आयु के लिए भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन महिलाएं सुबह स्नान-ध्यान कर सामूहिक रुप से सगरी में जल अर्पित कर आरती करती हैं तथा संतान की लंबी उम्र की कामना की जाती है।

*हल की पूजा का प्रावधान*
पंडित जी के अनुसार भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म इसी दिन हुआ था। इस अवसर पर उनके साथ उनके हल व बैल की भी पूजा की जाती है। पूजा के बाद व्रत पारणा में भी हल से उपजे अन्न का उपयोग नहीं किया जाता। इसलिए कमरछठ व्रत रखने वाली माताएं बिना हल चली जमीन पर पैदा होने वाले पसहर चांवल का सेवन का उपवास तोड़ती हैं।

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