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CAA rules: चुनाव से पहले CAA लागू करने का ऐलान क्यों? क्या भाजपा को होगा फायदा? जानें क्या है रणनीति

नई दिल्ली। CAA rules आगामी दिनों में लोकसभा चुनाव होने को ​है। लेकिन ठीक उससे पहले बड़ी खबर निकलकर सामने आई है। खबर है कि आज गृह मंत्रालय ने सीएए को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर सकता है। दरअसल, CAA संसद से पारित हुए करीब पांच साल बीत चुके हैं। अब केंद्र सरकार आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले सीएए को देश में लागू करने जा रही है। तो वहीं कुछ ही देर में कुछ बड़ा ऐलान भी करने जा रहे हैं। अब वो क्या ऐलान होगा अभी तक सामने नहीं आया। थोड़ी ही देर में संबोधन करने के दौरान पीएम मोदी बड़ा ऐलान करने वाले है।

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CAA rules अब सबके मन में यही सवाल उठ रहा है कि आखिर चुनाव से पहले बीजेपी सरकार सीएए क्यों लागू कर रही है और लोकसभा चुनाव से पहले CAA लागू करके भाजपा को होगा फायदा? गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार नहीं ई मौकों पर बयान दे दिया है कि सीएए आने वाला है, बंगाल की धरती से उन्होंने हुंकार भरी है, देश की सदन में उन्होंने संकल्प लिया है और अब चुनाव से ठीक पहले फिर अपनी नीयत स्पष्ट कर दी है।

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CAA की परिभाषा में बीजेपी की रणनीति

अब CAA की इस परिभाषा में ही बीजेपी की रणनीति छिपी हुई है। इस बिल में क्योंकि मुस्लिमों को नागरिकता देने का जिक्र नहीं है, यही सबसे बड़ा विवाद और बीजेपी की एक रणनीति का हिस्सा। बीजेपी हिंदुत्व की राजनीति करती है, ये बात अब जगजाहिर हो चुकी है, लेकिन उसकी इस राजनीति का विस्तार CAA है। एक तीर से कई निशाने साधने की साफ कोशिश दिख रही है।

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CAA का मतलब

सीएए काननू क्या है और इसे बीजेपी क्यों लागू करना चाहती है। दरअसल सीएए का मतलब होता है नागरिकता संसोधन अधिनियम कानून। अगर ये कानून बन जाता है तो तीन मुस्लिम देश- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के रहने वाले हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता मिल सकती है। मतलब सामान्य आदमी को देश की नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना होगा, लेकिन इन मुस्लिम देशों से आए लोगों के लिए ये अवधि एक से छह साल रहने वाली है।

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