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कोंडागांव । केन्द्र सरकार की कृषि संबंधी तीनों अध्यादेषों को किसान विरोधी बताते हुए सीपीआई कोण्डागांव के जिला सचिव तिलक पाण्डे के नेतृत्व में जिले के कम्युनिष्टों एवं अखिल भारतीय किसान महासभा से जुडे किसानों ने किसान विरोधी तीनों अध्यादेषों की प्रतियों को नगर के बस स्टैंड में जलाकर अपना विरोध प्रकट करने के साथ ही प्रधानमंत्री के विरुद्ध जमकर नारे बाजी की। इसके पूर्व देश के महामहिम राष्ट्रपति, छत्तीसगढ़ राज्यपाल व प्रधानमंत्री के नाम प्रेषित एक ज्ञापन को जिला कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर कोण्डागांव वास्ते एसडीएम कोण्डागांव को सौंपा गया।
इस दौरान का. तिलक पांडे, शैलेष शुक्ला, ज्योति शंकर, सरादूराम सोरी, बिरज नाग, बिसंबर मरकाम, लक्ष्मण महावीर, दिनेश मरकाम, श्यामलाल पोयाम, सनित मरकाम, राजू पोयाम, नंदूलाल नेताम, गणेश कोर्राम, नूरीलाल नेताम, सुरज नेताम, सुकदेव नेताम, रामकुमार नेताम, प्रभुलाल करंगा, डेनिश कोर्राम आदि सहित अन्य कम्युनिष्ट व किसान मौजुद रहे। सौंपे गए ज्ञापन के संबंध में जिला सचिव तिलक पाण्डे ने बताया कि केंद्र की मोदी सरकार को कृशि संबंधी अपने पारित अध्यादेषों को किसान हित में तत्काल वापस लेना होगा अन्यथा सीपीआई के कम्युनिष्टों व अखिल भारतीय किसान महासभा से जुडे किसानों द्वारा अपना आंदोलन जारी रखा जाएगा। केन्द्र सरकार द्वारा किसानों केषोशण को बढ़ावा देने वाले पारित तीनों अध्यादेषों को राश्ट्रपति की मंजुरी भी मिल चुकी है। ये अध्यादेष भारत के करोड़ांे किसान परिवारों के भविश्य से जुड़े हुए हैं, केन्द्र सरकार का ‘एक राश्ट्र एक बाजार अध्यादेष‘ किसानों के हित में नहीं हैं। इससे मण्डी का ढांचा खत्म होगा, जो किसानों के सहित छोटे एवं मंझोले व्यापारियों दोनों के लिए लाभप्रद नहीं है, देष के अधिकांष कृशक लघु एवं सीमान्त हैं, उनमें इतनी क्षमता नहीं है कि वे अपने जिले एवं राज्यों के बाहर जाकर अपनी उपज बेच सकें, किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मुल्य नहीं मिल सकेगा। सरकार ने इस बात की गारण्टी नहीं दी है कि कम्पनियों द्वारा किसानों के उपज की खरीद समर्थन मुल्य पर किया जाएगा। इस कानुन से सबसे बड़ा खतरा फसलों के तैयार होने के समय होगी, जब बड़ी कम्पनियां जानबुझकर किसानों के उपज को गिराकर एवं औने-पौने दामों में लेकर बड़ी मात्रा में स्टोर कर लेंगी, बाद में ग्राहकों को उंचे दामों में बेचेंगी। दूसरा सरकार नए कानुन के जरिये किसानों की उपज समर्थन मूल्य पर खरीद की अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही से बचना व किसानों को बर्बाद करना चाहती है। केन्द्र सरकार ने आवष्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संषोधन कर आलु, प्याज, दलहन, तिलहन व तेल के भण्डारण पर लगी रोक को हटा लिया है। हमारे देष में 85 प्रतिषत किसान हैं, जिनके पास भण्डारण की व्यवस्था नहीं है, यानि यह कानुन बड़ी कम्पनियों द्वारा कृशि उत्पादों की कालाबाजारी के लिये लाया गया है। तीसरा अध्यादेष सरकार द्वारा काॅन्ट्रेक्ट फार्मिंग के विशय में लागु किया गया है, जिसके तहत काॅन्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ा़वा दिया जाएगा, जिसमें बड़ी-बड़ी कम्पनियां खेती करेंगी एवं किसान उसमें सिर्फ मजदूरी करेंगे, जिससे किसान अपने ही खेत में सिर्फ मजदूर बनकर रह जाएंगे। पष्चिमों देष के अनुभव बताते हैं कि काॅन्ट्रेक्ट फार्मिंग से किसानों का षोशण होता रहा है। उक्त तीनों कृशि संबंधी अध्यादेषों के किसानों के हित में नहीं होने से सीपीआई षासन से मांग करती है कि तीनों अध्यादेष तत्काल वापस लें अन्यथा सीपीआई किसानों के हित में केन्द्र सरकार के खिलाफ शुरु आन्दोलन की तीव्रता को बढ़ाता रहेगा।