धर्म

कब है महाशिवरात्रि? भगवान शिव की इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें पूजा, जानें महत्व और कथा

हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाते हैं। जबकि दक्षिण भारतीय पंचांग (अमावस्यान्त पंचांग) के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पड़ती है। दोनों पंचांगों के अनुसार, यह तिथि एक ही दिन पड़ती है। इस साल महाशिवरात्रि 11 मार्च 2021 (गुरुवार) को है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

महाशिवरात्रि 2021 शुभ मुहूर्त-

महाशिवरात्रि महत्व-

महाशिवरात्रि पर्व हिंदू धर्म में का बहुत महत्व है। माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन विधि-विधान से व्रत रखने वालों को धन, सौभाग्य, समृद्धि, संतान और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि-

1. मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि जालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।

2. महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है।

3. शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि का पूजा निशील काल में करना उत्तम माना गया है। हालांकि भक्त अपनी सुविधानुसार भी भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।

महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा

शिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। जिनमें से एक के अनुसार, मां पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही कारण है कि महाशिवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है।वहीं गरुड़ पुराण में वर्णित एक कथा अनुसार, इस दिन एक निषादराज अपने कुत्ते के साथ शिकार खेलने गया किन्तु उसे कोई शिकार नहीं मिला। वह थककर भूख-प्यास से परेशान हो एक तालाब के किनारे गया, जहां बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग था। अपने शरीर को आराम देने के लिए उसने कुछ बिल्व-पत्र तोड़े, जो शिवलिंग पर भी गिर गए। अपने पैरों को साफ करने के लिए उसने उनपर तालाब का जल छिड़का, जिसकी कुछ बून्दें शिवलिंग पर भी जा गिरीं। ऐसा करते समय उसका एक तीर नीचे गिर गया; जिसे उठाने के लिए वह शिव लिंग के सामने नीचे को झुका। इस तरह शिवरात्रि के दिन शिव-पूजन की पूरी प्रक्रिया उसने अनजाने में ही पूरी कर ली। मृत्यु के बाद जब यमदूत उसे लेने आए, तो शिव के गणों ने उसकी रक्षा की और उन्हें भगा दिया। कहा जाता है कि भगवान शिव अनजाने में अपने भक्त को इतना फल देते हैं तो विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों को किसी प्रकार की कमी नहीं रहती है।

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