छत्तीसगढ़

CM भूपेश के खुले खत का OP चौधरी ने ऐसे दिया जवाब

सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़ रायपुर- छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए सोमवार को जो खुला पत्र लिखा था और आइना पॉलिटिक्स की थी, उसके जवाब में अधिकारी से नेता बने ओपी चौधरी ने भी एक खुला पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक अदना का कार्यकर्ता जवाब दे रहा है। ऐसा है ओपी चौधरी का पत्र –

आदरणीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी!

नमस्ते!

आपने प्रधानमंत्री मोदीजी को एक आईना भेजा है और कुछ लाइनें लिखी हैं। भारतीय जनता पार्टी किसी एक परिवार से चलने वाली पार्टी नही है, इसलिए एक अदना सा कार्यकर्ता होने के बावजूद आपको एक जवाब लिख रहा हूं।

आपने जिस आईने को भेजा है उसकी तस्वीर देखी सर! बड़ा महंगा कोई विदेशी ब्रांड टाइप दिख रहा है।शायद आप “Make in India” का मर्म समझ पाते? तो शायद इस स्टाइलिश आईने के जगह रायगढ़ जिले के एकताल गांव के बेलमेटल का या बस्तर आर्ट का कोई डिज़ाइन बनवा कर भेजते। इससे छत्तीसगढ़ के वनवासी भाई बहनों का थोड़ा लाभ हो जाता।

आपने मोदीजी के चाय बेचने पर सवाल किया है सर! आप गुजरात गए ही होंगे, मैं तो गया हूं। चर्चाओं और मेरे सीमित अध्य्यन के आधार पर पूछना चाहूंगा कि क्या नरेंद्र मोदीजी के पिता दामोदरदास मोदीजी की चाय की दुकान वड़नगर के रेल्वे स्टेशन में नही थी? क्या वहां बालक नरेंद्र मोदी सुबह पिता के साथ काम नहीं करते थे? और स्कूल की घंटी बजते ही स्कूल की ओर नही चले जाते थे? कभी पूछिएगा भागवताचार्य नारायणाचार्य विद्यालय में जाकर।

– क्या मोदीजी के चाचा की चाय दुकान अहमदाबाद के बस स्टैंड के पास नही थी, जहां मोदीजी काम किया करते थे? क्या बाद में मोदीजी ने अहमदाबाद के गीता मंदिर के पास एक साइकिल खरीदकर खुद के चाय का काम चालू नही किया था?

अगर इतना ही संदेह है तो इस पर भी एक SIT ही बनवा लेते सर, अगर इतनी झूठी बात है तो मणिशंकर जी को एक बयान के लिए कांग्रेस ने अप्रासंगिक मुहावरा क्यों बना दिया? मोदीजी ने चाय बेची है और शायद इसलिए बेची है क्योंकि उनके नाम के साथ गांधी परिवार वाला सरनेम नही जुड़ा है। उन्होंने चाय बेची है, देश नहीं।

मोदीजी के चाय बेचने पर सबूत खोज रहे हैं सर। आप लोग इतना सबूत खोजते हैं, उसके बजाय देश के लिए एक सपूत खोज लेते। देश की जनता मोदीजी को ही देश का सपूत मानती है, यह तो 23 मई को सिद्ध हो ही जाएगा।

आप लोग कांग्रेस के लिए भी एक सपूत खोजने की कोशिश कीजिये। एक परिवार के चरणों में पूरी कांग्रेस पार्टी और देश को रख देने की मानसिकता से आप लोग बाहर निकलिये सर।

आपने मोदीजी के रहन-सहन पर भी सवाल उठाए हैं सर। आपने 1963 का राममनोहर लोहिया जी का नेहरू जी पर आर्टिकल तो जरूर पढ़ा होगा सर- एक दिन के 25 हजार रुपए। देश के तीसरी लोकसभा मे 1963 में इस आर्टिकल पर चर्चा भी हुई थी। इस आर्टिकल में लोहिया जी ने लिखा था कि जिस देश के लोग औसत 3 आना प्रतिदिन कमाते हैं, उस देश का प्रधानमंत्री सरकारी कोष से अपने ऊपर प्रतिदिन 25 हजार रुपए खर्च करता है।

सर, देश का प्रधानमंत्री या प्रदेश का मुख्यमंत्री देश-प्रदेश के प्रतिनिधि होते हैं। एक व्यक्ति नहीं, बल्कि संस्था होते हैं। मैं आपके व्यक्तित्व और सोच को न देख कर आपके जैकेट के चीप की ओर नजरें ताकूँ, तो शायद ठीक नहीं। मैं अगर पूछूं कि महंगे गुलाब की जगह नेहरू जी देशी बरगंडा का फूल क्यों नही लगाते थे कहूं, तो ठीक नहीं।

मोदीजी जो भी पहनते हैं, कम से कम देश को टोपी और चश्मा तो नही पहनाते। ओबामा जी के साथ बैठक के जिस सूट की आप बात कर रहे हैं, आपने पढ़ा ही होगा कि मोदीजी ने नीलाम कराके 4 करोड़ 31 लाख रुपए की राशि इकट्ठा करके नमामि गंगे परियोजना में जमा करा दी। सिओल पीस प्राइज से मिले 2 लाख अमेरिकी डॉलर को भी गंगा माता को समर्पित कर दिया। उनको मिलने वाले सारे गिफ्ट को बेचकर चैरिटी की जाती है।

आप लोग मोदीजी की सरकार को पहले भी “सूट बूट की सरकार” कह रहे थे। उन्होंने 19हजार गांवों तक बिजली पहुंचाई, 50 करोड़ लोगों के लिए आयुष्मान भारत योजना बनाई, 9 करोड़ शौचालय बनवाए, 6 करोड़ उज्ज्वला के कनेक्शन दिए, 1.5 करोड़ लोगों को पक्का मकान दिया, 34 करोड़ लोगों के जन धन खाते खोले, 13 करोड़ लोगों को मुद्रा योजना का लाभ दिया, 21 करोड़ लोगों को बीमा योजनाओं का लाभ दिया, 12 करोड़ किसान भाइयों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ दे रहे हैं, 3 करोड़ टैक्स पेयर को ऐतिहासिक छूट दी। ये सब मोदीजी कौन से सूट बूट वालों के लिए कर रहे हैं?

आप मोदीजी के रहन-सहन की बात करते हैं सर! वो 130 करोड़ भारतवासियों के प्रतिनिधि हैं। एक बार उनके अन्य पारिवारिक सदस्यों की स्थिति का भी जायजा ले लेते हैं। उनके बड़े भाई सोमा भाई मोदी कहते हैं कि मैं ढाई साल पहले मिला था, फोन पर बात हो जाती है। मैं नरेंद्र का भाई हूं, प्रधानमंत्री का नहीं। उनके एक और बड़े भाई अमृत भाई मोदी प्राइवेट कंपनी से फीटर मिस्त्री पद से रिटायर हुए हैं।

2005 में रिटायरमेंट से पहले 10 हजार रुपए की सैलरी थी। एक भाई पंकज मोदी गुजरात के सूचना विभाग में अन्य लोगों की तरह ही काम करते थे। एक भाई संजय मोदी मैकेनिकल सामानों की दुकान चलाते हैं, 2009 में परिवार के लिए पहली बार कार खरीदे हैं, कुछ वर्ष पूर्व इनके परिवार ने स्वीकार किया था कि अंदर से जहाज नहीं देखे हैं।

चचेरा भाई अशोक मोदी पहले ठेले से पतंग, पटाखे और मिठाई बेचते थे। अभी कुछ दिन पहले 8×4 की 1500 रुपए प्रति माह वाली दुकान किराए पर लिए हैं।प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनका परिवार इस तरह से रहता है-पूरी दुनिया के सामने एक नजीर है।

इन चर्चाओं के बीच सबसे असल सवाल यह है कि क्या कांग्रेस देश के सामने वैकल्पिक नेतृत्व पेश कर पा रही है और इसका जवाब 23 मई को देश की जनता दे देगी। आपको पता ही होगा सर मैंने कलेक्टरी छोड़ दी है, चुनाव भी हार गया हूं, आजकल रोजी रोटी के लिए कुछ नए काम भी चालू कर रहा हूं, इसलिये समय थोड़ा कम मिलता है और आपने अपने सतही पत्र में GST, काला धन, गंगा, पाकिस्तान, विदेश दौरे जैसे अनेकानेक मुद्दों को छुआ है। उन सबका जवाब मैं कल लिखूंगा। तब तक के लिए राम राम! जवाब का कोई अंश आपको अगर ठीक न लगा हो,तो बुरा मत मानिएगा। उम्र में मुझसे बहुत बड़े हैं। -ओपी

 

 

 

 

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