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Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया के दिन क्यों की जाती है गुड्डे -गुड़ियों की शादी?, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह…

Akshaya Tritiya 2025/ Image Credit: IBC24 File

नई दिल्ली। Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह दिन विभिन्न शुभ कार्यों को करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। यह दिन आखा तीज और अक्ती के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय तृतीया का दिन सालभर की शुभ तिथियों की श्रेणी में आता है। ऐसे में इस दिन कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य किया जा सकता है। इस साल अक्षय तृतीया का त्यौहार 30 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। वहीं इस दिन गुड्डे -गुड़ियों की शादी भी की जाती है। लेकिन ये बहुत कम लोग ही जानते हैं कि इसके पीछे की क्या वजह है।

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बता दें कि युवक- युवतियों के विवाह में विलंब हो रहा होता है। उनके द्वारा यह परंपरा काफी प्राचीन समय से चली आ रही हैं। जिसमें अक्षय तृतीया के दिन मिट्टी के गुड्डे- गुड़ियों का वट वृक्ष के नीचे विवाह रचाया जाता है। सांकेतिक रूप में दोनों की गांठ बांधी जाती है। ये गांठ फिर वट अमावस के दिन खोली जाती है। ऐसा करने से विवाह की संभावना तेज हो जाती है।

अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त

अक्षय तृतीया का पर्व 30 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा. तृतीया तिथि की शुरुआत 29 अप्रैल शाम 5:31 बजे से होगी और 30 अप्रैल को दोपहर 2:12 बजे समाप्त होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:41 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक है।

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पूजा विधि

अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है। पूजा के दौरान मंत्रों का जाप और हवन किया जाता है।

Akshaya Tritiya 2025:  अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया हिंदुओं के सबसे शुभ त्योहारों में से एक है। यह दिन सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है जब लोग विभिन्न धार्मिक और शुभ कार्य करते हैं। अक्षय तृतीया का दिन गृह प्रवेश के लिए अति उत्तम माना जाता है। वहीं अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने का विधान है। कहते हैं कि सोना खरीदने से पूरे साल घर में मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। साथ ही जब लोग विभिन्न धार्मिक और शुभ कार्य करते हैं। अक्षय का अर्थ है शाश्वत जो सदैव बना रहे और तृतीया का अर्थ है शुक्ल पक्ष का तीसरा दिन। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन शुभ कार्य करते हैं उनका यह सुख सदैव बना रहता है और कभी खत्म नहीं होता।

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