कोंडागाँव: आत्महत्या करने की अनुमति मांग रहें मालगांव के आदिवासी किसान
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पूर्व में कर चुका है एक किसान आत्महत्या
कई वर्षों से आवेदन देने पर भी वनाधिकार प्रपत्र न देने का मामला
कोण्डागांव 28 मई । पूर्व में एक आदिवासी किसान द्वारा आत्महत्या कर चुके गांव मालगांव के 7 आदिवासी किसान परिवार के 6 लोगों ने कलेक्टर कोण्डागांव को आवेदन देकर आत्महत्या करने की अनुमति देने की मांग की है। वर्श 2008-10 से निरंतर लिखित आवेदन पत्र दिए जा रहे होने के बाद भी वनाधिकार प्रपत्र न देकर आदिवासियों के काबिज वन भूमि में वन विभाग द्वारा पौधा लगाने हेतु गड्ढा खोदे जाने से हो रही मानसिक परेषानी के कारण, आदिवासी किसानों के सामने ऐसी विकट स्थिति उत्पन्न होने लगी है कि अब वे वनाधिकार प्रपत्र न दे सकने पर आत्महत्या कर लेने की अनुमति प्रदान करने हेतु कलेक्टर को आवेदन देने को मजबूर हो चुके हैं। यह मामला 28 मई को जिला कार्यालय कोण्डागांव में तब देखने को मिला, जब जिला व तहसील कोण्डागांव के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत मालगांव पंडिनपारा व बुडरापारा के 6 निवासी एक आवेदन लेकर कोण्डागांव कलेक्टर से मिलने पहुंचे नजर आए। यहां उन्होंने नव नियुक्त कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा को आवेदन दिया, जिस पर कलेक्टर कोण्डागांव ने आवेदक किसानों को सप्ताह भर में जांच करवाकर उचित कार्यवाही कराने का आष्वासन दिया है। वहीं सोमारुराम पोयाम, फगनूराम पोयाम, चेरंगाराम बघेल, पीलूराम आदि आवेदकों ने बताया कि उन्होंने अपने आवेदन पत्र में वर्श 2008-10 से निरंतर लिखित आवेदन पत्र दिए जा रहे होने के बाद भी वनाधिकार प्रपत्र न देकर आदिवासियों के काबिज वन भूमि में वन विभाग द्वारा पौधा लगाने हेतु गड्ढा खोदे जाने से हो रही मानसिक परेषानी के कारण, साफ-साफ लिखा है कि वनाधिकार प्रपत्र न दे सकने पर आत्महत्या कर लेने की अनुमति प्रदान की जाए। उन्हें ऐसा लिखने हेतु इसलिए मजबूर होना पड़ रहा है क्योंकि वे सभी वर्श 2005 के कई वर्श पूर्व से वन भूमि पर खेती करके अपना व अपने आश्रितों का जीवनयापन कर रहे हैं। षासन द्वारा वनाधिकार प्रपत्र देने की घोषणा के बाद वर्श 2008-10 से वर्तमान में 26/05/2020 तक निरंतर वनाधिकार प्रपत्र देने हेतु ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति से लेकर उच्चाधिकारियों तक को आवेदन देते आ रहे हैं, लेकिन 1994 में वन विभाग द्वारा काटी गई पी.ओ.आर.रसीद जैसा साक्ष्य होने के बाद भी उन्हें वनाधिकार प्रपत्र नहीं दिया गया है। बल्कि वहीं वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी वर्तमान में उनके काबिज खेतों में पौधे लगाने हेतु गड्ढा खोदने का कार्य करा रहे हैं, जिससे वे सभी मानसिक रुप से बहुत परेषान हो चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनके बीच का एक किसान भाई सोमारु नेताम परेषान होकर आत्महत्या कर भी चुका है। यही कारण है कि सभी किसानों के द्वारा एकराय होकर कलेक्टर से मांग किया जा रहा है कि या तो हम सभी किसानों को जल्द से जल्द वनाधिकार प्रपत्र दिलाने में सहयोग करें और यदि वनाधिकार प्रपत्र प्रदान नहीं किया जा सकता है, तो हम सभी को सपरिवार आत्महत्या करने की अनुमति प्रदान करें, ताकि हम सबकी मौत के बाद वन विभाग आराम से पौधारोपण कर सके। वैसे भी हम सब के जीवनयापन का जरीया खेत नहीं होने से हमारी मौत होनी ही है।
वैसे तो नव नियुक्त कलेक्टर ने मालगांव के आदिवासी किसानों को आष्वासन दिया है कि सप्ताह भर में मामले की जांचकर उचित कार्यवाही करेंगे, लेकिन देखने की बात यह होगी कि कहीं देर न हो जाए ? और सोमारुराम की तर्ज पर कोई अन्य आदिवासी किसान फिर से आत्मघाती कदम न उठा ले ?
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