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क्या सैलरी पाने वाले लोगों पर लागू होगी TDS में 25% की छूट? सरकार ने दिया इसका जवाब | business – News in Hindi

क्या सैलरी पाने वाले लोगों पर लागू होगी TDS में  25% की छूट? सरकार ने दिया इसका जवाब

जानिए आपकी एफडी पर क्या असर होगा

सरकार (Government of India) ने टीडीएस यानी स्रोत पर कर कटौती में 25 फीसदी कमी का एलान किया है. लेकिन, सैलरी पाने वाले लोगों पर यह लागू नहीं होगा. आइए जानें पूरा मामला…

नई दिल्‍ली. कोरोना के इस संकट (Coronavirus Pandemic) में सरकार की ओर से जारी राहत पैकेज के तहत TDS यानी स्रोत पर टैक्स  कटौती में 25 फीसदी कमी का ऐलान किया गया है. लेकिन, सैलरी पाने वाले लोगों पर यह लागू नहीं होगा. वित्‍त सचिव अजय भूषण पांडे (Finance Secretary off India) ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सैलरी वाले सेगमेंट में सरकार ने टीडीएस में कटौती नहीं की है. अगर ऐसा किया जाता तो साल के अंत में (रिटर्न फाइल करते वक्‍त) सैलरी पाने वालों को ज्‍यादा टैक्‍स और ब्‍याज का सामना करना पड़ता.

अब क्या हुआ- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोर्स पर टैक्स कटौती (TDS) और सोर्स पर टैक्स कलेक्शन (TCAS) दर में 25 फीसदी की कमी की बुधवार की घोषणा के बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने संशोधित दर को अधिसूचित किया है. ये दरें 14 मई, 2020 से 31 मार्च, 2021 तक प्रभावी रहेंगीं. सीतारमण ने देशव्यापी लॉकडाउन और उसके प्रभाव से कंपनियों और टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए कहा था कि टीडीएस/टीसीएस में कटौती से लोगों के हाथ में 50,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त बचेंगे.

इससे क्या होगा-नॉन-सैलरीड पेमेंट के लिए इनमें 25 फीसदी की कटौती की गई है. फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट (एफडी) से ब्‍याज और डिविडेंड जैसी इनकम नॉन-सैलरीड पेमेंट में आती है. इस तरह की इनकम में अपने आप टीडीएस कट जाता है.

फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट पर बैंक से मिलने वाले ब्‍याज पर अब 10 फीसदी के बजाय 7.5 फीसदी की दर से टीडीएस कटेगा. इसी तरह महीने में 50,000 रुपये से ज्‍यादा किराया दे रहे किरायेदारों को 5 फीसदी के बजाय 3.75 फीसदी की दर पर टीडीएस काटना होगा.अगर किसी व्यक्ति को एक सीमा से अधिक आय हुई है तो उस आय से एक निश्चित रकम काट ली जाती है. टैक्स के रूप में काटी गई इस रकम को ही टीडीएस कहते हैं.

किसी को पेमेंट के समय पेयर (देने वाला) इसे काट लेता है. आमतौर पर टीडीएस अगल-अलग तरह के इनकम स्रोतों पर काटा जाता है. इनमें सैलरी, किसी निवेश पर मिला ब्याज, प्रोफेशनल फीस, कमीशन, ब्रोकरेज इत्‍यादि शामिल हैं.

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First published: May 15, 2020, 3:08 PM IST



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