छत्तीसगढ़

लाॅक डाउन में भी महिला समूहो ने वनोपज संग्रहण करके निभाई शानदार जिम्मेदारी

  • कोरोना आपदा में भी जिले में हुआ वनोपजो का बम्पर उत्पादन एवं संग्रहण
  • नगद भुगतान से वनवासियों के मन में खुशी और चेहरे पर मुस्कान दे रही है वन-धन योजना
  • अब तक 14 हजार 8 सौ क्विन्टल लघु वनोपजों का 4 करोड़ 36 लाख मूल्य का हुआ संग्रहण

सबका संदेश/कोण्डागांव । वर्तमान में जब देष व्यापी लाॅक डाउन के वजह से सारी आर्थिक, सामाजिक सहित अन्य गतिविधियों पर विराम लग गया है और आम लोगो के जीवन-यापन एवं आय अर्जन करने की क्षमता बूरी तरह प्रभावित हुई है। ऐसे में जिले की स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने अपनी सराहनीय सक्रियता दिखाते हुए वनोपज संग्रहण के माध्यम से रिकार्ड वनोपज यथा ईमली, चरोटा, महुआ फूल, आंवला, बहेड़ा, कुसमी लाख, हर्रा, करंज, नागरमोथा, ईमली फूल इत्यादि का एकत्रण-संग्रहण कर नगद आय अर्जित करते हुए लोगो के समक्ष एक प्रेरणादायी उदाहरण रखा है।
यह सर्व विदित है कि प्राचीन काल से लोग अपनी छोटी बड़ी आवश्यकताओं के लिए सदैव वनों आश्रित रहे हैं परन्तु आधुनिक सभ्यता के विकास के साथ मनुष्य वैज्ञानिक प्रगति के साथ जंगलों को काट बड़े शहरों का निर्माण कर वनों से दूर होता गया परन्तु प्रदेष के आदिवासी समुदाय के लिए वन एक अमूल्य संपदा हैं और यही संपदा उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ रही हैं। चूंकि वन क्षेत्रों में भौगोलिक रूप से पहाड़ी, पथरीली जमीन एवं जलसंसाधनों के सीमित होने से अत्यधिक फसलों का उत्पादन संभव नहीं हो पाता है साथ ही वनोपजों को स्थानीय बिचैलिये वन ग्रामों में पहुंच औने-पौने दामों पर खरीद कर बाहरी बाजारों में अधिक कीमत में बेच कर तगड़ा मुनाफा कमा रहे थे जिससे इन पर दोहरा बोझ पड़ रहा था। ऐसे में सभी को साथ ले कर चलने के इरादे से वनवासियों को सतत आय दिलाने एवं आय वृद्धि के उद्देष्य से राज्य सरकार ने वनोपजों का सही मूल्य दिलाने के इरादे से वन-धन विकास योजना के तहत 22 वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया ताकि वनोपजों के सही मूल्य दिलाकर उनके साथ किसी भी प्रकार का अन्याय ना होने दिया जाए। इस संग्रहण कार्य से बिहान के तहत महिला स्व सहायता समूहों को जोड़ा गया जिससे ना सिर्फ उनको व्यवसाय प्राप्त हुआ है बल्कि महिलाओं में आत्मसम्मान में भी इजाफा हुआ है साथ ही वनवासियों को सभी ऋतुओं में सतत आय का एक साधन भी प्राप्त हुआ है।

400 लघु वनोपज समितियों द्वारा 4.36 करोड़ रुपयों का हुआ नगद भुगतान

ज्ञात हो कि खरीफ मौसम के पश्चात लघु वनोपजों के संग्रहण का मौसम शुरू होते ही राज्य सरकार के आदेश पर कलेक्टर नीलकण्ठ टीकाम के मार्गदर्षन में वन विभाग द्वारा सभी अग्रिम तैयारियां पूरी कर लीं गई थी। फलस्वरुप वनोपज का संग्रहण का सीजन शुरू होने के पश्चात कोरोना वायरस के कारण हुए देशव्यापी तालाबंदी के बाद भी लघु वनोपजों के संग्रहण का कार्य जारी रखा गया ताकि लॉक डाउन में भी ग्रामीणों को सतत आय प्राप्त होती रहे। इस संबंध में दक्षिण वनमंडल कोण्डागांव के वनमण्डलाधिकारी एवं केषकाल वनमंडलाधिकारी वरुण जैन ने जानकारी दी कि अब तक जिले में कुल 400 लघु वनोपज संग्रहण समितियों के द्वारा मिलकर 14 हजार 8 सौ क्विन्टल वनोपजों का 4.36 करोड़ मूल्य से संग्रहण किया गया है। जिसमे अब तक जिला वनोपज सहकारी संघ दक्षिण कोण्डागांव में 191 लघु वनोपज समितियों के 10 हजार 8 सौ लोगो के द्वारा 9565 क्विन्टल का 2.85 करोड़ मूल्य द्वारा संग्रहण किया। जिसमे अकेले इमली का उत्पादन 8 हजार 8 सौ पचास क्विन्टल हुआ जिसके लिए समितियों द्वारा 2.74 करोड़ रुपये नगद दिए गए साथ ही जिला सहकारी संघ मर्यादित केशकाल की 209 समितियों के 7 हजार सत्तर लोगों द्वारा  कुल 5197 क्विन्टल लघु वनोत्पादों का  1.51 करोड़ मूल्य देकर संग्रहण किया गया है। जिसमे 4हजार 523 क्विन्टल ईमली का 1.40 करोड़ मूल्य के बराबर संग्रहण किया गया है।  

वनोपजों हेतु प्रसंस्करण प्लांट किया जाएगा तैयार

कलेक्टर ने इस संबंध में बताया कि राज्य में सर्वाधिक वनोपजों का उत्पादन कोण्डागांव जिले में होता है ऐसे में जिला प्रशासन समूह के लोगो को वनोपज संग्रहण तक ही सीमित नही रखना चाहता अपितु वनोपज के प्रसंस्करण के द्वारा और लोगों को इससे जोड़ कर रोजगार देना प्रमुख लक्ष्य रखा गया है। राज्य सरकार से भी इस संदर्भ में पूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है और जिला प्रशासन ने इस हेतु योजना तैयार ली है जल्द ही जिले में वनोपज प्रसंस्करण का कार्य बड़े पैमाने पर प्रारम्भ होगा। इस प्रकार राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना वनधन विकास योजना के माध्यम से कोण्डागांव जिले के ग्रामीणों को वनोपज का उचित दाम मिलने से उनके जीवन में निष्चित रुप से आर्थिक सुधार एवं खुशहाली आयी है।

राजीव गुप्ता

Rajeev kumar Gupta District beuro had Dist- Kondagaon Mobile.. 9425598008

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