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गोरखपुर: सड़क पर 11 लोगों के परिवार के साथ दिन गुजार रहा मजदूर बोला- लॉकडाउन है झेल लेंगे- A laborer in Gorakhpur spending the day with a family of 11 people on the road said will face lockdown covid 19 uprg upas | gorakhpur – News in Hindi

गोरखपुर: सड़क पर 11 लोगों के परिवार के साथ दिन गुजार रहा मजदूर बोला- लॉकडाउन है झेल लेंगे

गोरखपुर में लॉक डाउन के बीच परिवार के साथ सड़क पर दिन गुजार रहा मजदूर

गोरखपुर (Gorakhpur) में मजदूर अपने परिवार के साथ सड़क के किनारे लगे नल पर वह नहाकर, दुकानों के बरामदे में सोकर और सड़क पर रोटी बनाकर खा ले रहा है. वह कहता है कि देश का गरीब तो रोज मुश्किलों का सामना करता है. लॉक डाउन में उसकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं, पर हिम्मत जब गरीबी का सितम नहीं तोड़ पायी तो ये कोरोना क्या तोड़ेगी? लॉकडाउन है झेल लेंगे.

गोरखपुर. कोरोना वायरस (COVID-19) के खिलाफ जंग में गोरखपुर (Gorakhpur) शहर भी लॉक डाउन (Lockdown) है. शहर की सड़कें सुनसान हैं, इसी में से एक सड़क पर एक मजदूर अपने पूरे परिवार के साथ गुजर बसर कर रहा है. लेकिन उसे कोई शिकायत नहीं है. वह कहता है कि सरकार ने लॉक डाउन किया है तो उसे भी उसका पालन करना है. वह मऊ का रहने वाला है लेकिन उसे अब कहीं नहीं जाना है. यही रह कर झेल लेंगे. वह उम्मीद से कहता है जब सब कुछ सामान्य होगा तब फिर देश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देंगे.

सड़क पर ही भोजन और सोना

दरअसल गोरखपुर में न्यूज 18 का रिपोर्टर गोलघर के पास सुनसान सड़क से दोपहर को गुजर रहा था कि तभी नजर सड़क के किनारे बैठे एक व्यक्ति पर पड़ी. वह व्यक्ति सड़क के किनारे ईटों को जोड़कर एक चूल्हा बनाकर तवे पर मोटी मोटी रोटियां सेंक रहा था. रिपोर्टर जब उसके पास पहुंचा तो बात शुरू हुई तो उसने बताया कि वो दिहाड़ी मजदूर है. मऊ से गोरखपुर आकर दिहाड़ी मजदूरी करता है. उससे जो पैसा मिलता है, उसी से खुद का और परिवार का पालन पोषण करता है. लॉक डाउन हो जाने के कारण वो भी गोरखपुर में फंस गया है.

11 लोगों का पूरना परिवार दुकानों के बाहर बरामदे मेंआम दिनों में जिन सड़कों पर भीड़ रहती थी. दुकानों पर खरीददार रहते थे, वहां पर इन दिनों सन्नाटा पसरा है. गोरखपुर के दिल कहे जाने वाले गोलघर में दुकानों के बाहर निकले बरामदे में मजदूर का 11 लोगों का पूरा परिवार रह रहा है और अपने सामर्थ्य के अनुसार लॉक डाउन का पालन कर रहा है. उसने बताया कि प्रशासन के द्वारा समय-समय पर राशन उपलब्ध कराया जा रहा है. कुछ कमी रह जा रही है तो मजदूरी करके जो कुछ पैसे बचाया है, उसी से खरीददारी कर ले रहा है. उसने कहा कि देश पर इस वक्त जो विपदा आयी है कोरोना रूपी, उससे लड़ने में सरकार की पूरी मदद कर रहा है. परिवार भले ही पूरा सड़क पर हो पर देश के लिए, अपनों के लिए गोरखपुर छोड़ना उचित नहीं समझा. यहीं पर डेरा जमाकर रहने लगा है.

जब गरीबी नहीं तोड़ पाई तो कोरोना क्या तोड़ेगी?: मजदूर

सड़क के किनारे लगे नल पर वह नहाकर, दुकानों के बरामदे में सोकर और सड़क पर रोटी बनाकर खा ले रहा है. मजदूर ने कहा कि देश का गरीब तो रोज मुश्किलों का सामाना करता है. लॉक डाउन में उसकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं, पर हिम्मत जब गरीबी का सितम नहीं तोड़ पायी तो ये कोरोना क्या तोड़ेगी? लॉकडाउन है झेल लेंगे. जब सब कुछ सामान्य होगा तब फिर अपना योगदान देंगे. देश को आगे बढ़ाने में. मजदूरी करके परिवार चलाने में. मौजूदा समय में सरकार ने कहा है कि जहां हो वहीं रहो तो उसी का पालन जारी है.

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First published: April 17, 2020, 6:47 PM IST



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