श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन
सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़ रतनपुर-श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हुआ तिवारी परिवार द्वारा मौहारी भाठा में 12 से 19 मार्च तक प्रथम दिवस की हुई कथा प्रारंभ उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ वही आचार्य श्री राधेश्याम शास्त्री जांजगीर वाले कथा में बहुत ही भक्तों को अमृत रस की श्रावण करा रहे है. पूज्य “कथा वाचक श्री” राधेश्याम शास्त्री जी ने कहा – मनुष्य जन्म अत्यन्त ही दुर्लभ है,
मनुष्य जीवन का केवल एक ही उद्देश्य और एक ही लक्ष्य होता है, और वह है – भगवान की अनन्य-भक्ति प्राप्त करना। अनन्य-भक्ति को प्राप्त करके मनुष्य सुख और दु:खों से मुक्त होकर कभी न समाप्त होने वाले आनन्द को प्राप्त हो जाता है। यहाँ सभी सांसारिक संबंध स्वार्थ से प्रेरित होते हैं। हमारे पास किसी प्रकार की शक्ति है, धन-सम्पदा है, शारीरिक बल है, किसी प्रकार का पद है, बुद्धि की योग्यता है तो उसी को सभी चाहते हैं न कि हमको चाहते हैं। हम भी संसार से किसी न किसी प्रकार की विद्या, धन, योग्यता, कला प्रतिष्ठा आदि ही चाहते हैं। हमारा मष्तिष्क, हमारा अवचेतन मन, हमारी इच्छायें आदि सब कुछ इंद्रियों के वशीभूत हो जाती हैं। जब हमारी महात्वाकांक्षायें प्रबल होने लगती हैं तब हम अपना संयम खोने लगते हैं। दूसरों से आगे बढ़ने की चाहत और अधिक पाने की चाहत हमें असहनशील बना देती है। तनाव और हमारे आसपास के गलत वातावरण का प्रभाव भी इस पर पड़ता है। हम अपना धैर्य तब खो देते हैं जब हम स्वयं की तुलना किसी और से करते हैं। अगर आपका कोई साथी सफलता के नित नये कीर्तिमान बना रहा है तो उससे कैसी तुलना और कैसा द्वेष? इसके पीछे की परिस्थितियों को भी जानने की कोशिश कीजिए, साथ ही इसके पीछे उसकी मेहनत को देखिये। ऐसी स्थिति में उससे तुलना न करें, बल्कि उसके जितनी मेहनत करके दिखायें, फिर कुछ दिनों बाद आप भी सफलता के नये आयाम स्थापित करेंगे। पूज्य “आचार्यश्री” जी ने कहा – धैर्य न खोने का दूसरा उपाय यह भी है कि अप्रत्याशित एवं अघोषित घटनाओं के लिए आप हमेशा तैयार रहें। अपने काम को पूर्णता देने के लिए आप योजना बनाते हैं, किन्तु सफलता आपके अनुसार नहीं मिलती है तो आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है। यदि आपको मन की इंद्रियों पर काबू रखना है तो योग और मेडिटेशन को अपनी दिनचर्या बनायें। योग करने से मन की इंद्रियां न केवल सक्रिय रहती हैं, बल्कि आपके वश में भी रहती हैं। ध्यान लगाने से आपका मन शांत होता है और मन में नकारात्मक विचार नहीं आते हैं। योग आपको संयम भी सिखाता है। इसलिए अगर आप धैर्यवान बनना चाहते हैं तो योग और ध्यान अति आवश्यक है …।
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