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SarkarOnIBC24: लेटर पर लेटर.. नक्सलियों का ‘सरेंडर’! शांति वार्ता के बाद अब युद्ध विराम, कांग्रेस ने पत्र की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल

रायपुरः छत्तीसगढ़ में ताबड़तोड़ एनकाउंटर से नक्सली खौफ में है, लेकिन लेटर पॉलिटिक्स के जरिए अपना वजूद भी बचाए रखना चाहते हैं। नक्सलियों का एक और पत्र सामने आया है, जिसमें नक्सलियों ने इस बार भी युद्धविराम की गुहार लगाई है, हालांकि ये कोई पहली बार नहीं है.. जब नक्सलियों ने संघर्ष विराम और शांति वार्ता की अपील की हो…नक्सलियों ने इससे पहले भी 2 अप्रैल 2025 को शांति वार्ता के लिए पहला पत्र लिखा था। इसके महज 6 दिन बाद 9 अप्रैल 2025 को दूसरा पत्र जारी किया। वहीं तीसरा पत्र 18 अप्रैल 2025 को सामने आया है।

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यानी महज 16 दिनों के अंदर तीसरी बार नक्सली ये जताना चाह रहे हैं कि हम संघर्ष नहीं शांति चाहते हैं… साफ है कि ताबड़तोड़ एनकाउंटर से नक्सलियों के लिए बस्तर में कोई सेफ जोन नहीं बचा है… सुरक्षा बल चुन-चुनकर उन्हें ठिकाने लगा रहे हैं, जो हिम्मत हार चुके हैं वो सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर सरेंडर करते जा रहे हैं… ऐसे में कुछ गिने-चुने नक्सलियों ने ये लेटर जारी कर बीच का रास्ता चुना है.. वो सरेंडर की जगह युद्धविराम के जरिए खुद को फिर से संगठित करने में जुटे हैं। नक्सलियों का ताजा लेटर कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के उत्तर पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश ने जारी किया है, जिसमें लिखा है कि शांति वार्ता के लिए हमारा नेतृत्वकारी कामरेडों से मिलना ज़रूरी है इसलिए सरकार से अपील है कि एक महीने तक सशस्त्र बलों के ऑपरेशन पर रोक लगाई जाए।

लेटर में डिप्टी सीएम विजय शर्मा का भी जिक्र है। नक्सलियों ने विजय शर्मा का आभार जताया है। नक्सलियों के सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रुपेश ने लिखा मेरे पहले बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा को धन्यवाद, मेरी सुरक्षा की गारंटी देते हुए मेरी इस कोशिश को आगे बढ़ाने की अनुमति देने के लिए भी मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं। इस पत्र में जहां डिप्टी सीएम विजय शर्मा की तारीफ है वहीं बीजेपी और कांग्रेस पर किसी टिप्पणी से परहेज किया है। रुपेश ने लिखा भाजपा और कांग्रेस नेताओं के उनके खिलाफ दिए बयानों का फिलहाल मैं जवाब नहीं दे रहा हूं। अभी मैं एक विषय पर ध्यान दे रहा हूं।

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वीओ- नक्सलियों के शांतिवार्ता के लिए ताबड़तोड़ पत्र सामने आने से इस पर सियासत भी शुरू हो गई.. कांग्रेस ने इन पत्रों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए और जांच की मांग की। तो बीजेपी ने पलटवार किया। नक्सलियों के एनकाउंटर और उनके लेटर पर सियासत अपनी जगह है, लेकिन आज का सच यही है कि नक्सली अपना वजूद बचाने की हालत में भी नहीं बचे हैं। शुक्रवार को ही सुकमा में 40 लाख रुपए के इनामी 22 नक्सलियों ने सरेंडर किया..सुकमा का बडेसेट्टी गांव नक्सलमुक्त हुआ। अब सरकार की स्कीम के तहत बडेसेट्टी गांव में 1 करोड़ रुपए के विकास कार्य कराए जाएंगे। यानी बीजेपी की डबल इंजन सरकार ने मार्च 2026 में नक्सलमुक्त बस्तर का जो टारगेट सेट किया है। उस दिशा में बड़ी सफलता माना जा सकता है।

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