CG Ki Baat: साजिश के शोले.. कवर्धा कांड सच क्या? क्या बलौदाबाजार जैसा नया कांड दोहराने की रची गई कोई साजिश?
CG Kawardha Kand: रायपुर। प्रदेश का कवर्धा फिर सुलगा, कवर्धा के एक गांव में हत्या की आशंका, आत्महत्या का खुलासा। लेकिन, खुलासे से पहले ही संदेह और बदले की आग में मानों सब कुछ झुलस गया। रातों-रात गांव निर्जन हो गया, और जब आग बुझी तो धुएं में साजिश के सबूत तैर रहे हैं। पुलिस मानती है अफवाह की चिंगारी से पूरी तैयारी से षड़यंत्रपूर्वक भीड़ को आग भड़काने तैयार किया गया। विपक्ष के बयान और दबी जुबान में कहा जा रहा है कि यहां कुछ तो ऐसा है, जो फिलहाल अदृश्य है, गहरे राज छिपाए हैं। पता है कि समय के साथ सच पर पड़े पर्दे खुलेंगे। लेकिन, अभी तो ये कांड सवालों के ढेर पर बैठा है।
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कवर्धा में एक बार फिर जो कुछ हुआ उसने पूरे प्रदेश को सन्न कर दिया है। जिले के लोहारीडीह गांव में जमीवी विवाद से शुरू हुई बात, भीड़तंत्र के बवाल और आगजनी में बदल गई और ये सबकुछ जिसकी शख्स की हत्या की बात से शुरू हुआ। मृतक शिवप्रसाद साहू की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि, असल में उसने खुदकुशी की थी। मामले में पुलिस ने 160 लोगों पर नामजद FIR दर्ज की है, जिसमें से 60 गिरफ्तार हो चुके हैं। गांव के ज्यादातर लोग, घरों में ताले लगाकर फरार हैं।
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कवर्धा SP का मानना है कि, कवर्धा को भी बलौदाबाजार की तरह अफवाह से जरिए सुलगाने की साजिश थी, जिसमें षड़यंत्र और सियासी एंगल से इंकार नहीं किया जा सकता। तो जिले के पुलिस अधीक्षक खुद मानते हैं कि घटना के पॉलिटिकल एंगल हो सकते हैं। कांग्रेस ने घटना पर फिर सरकार को घेरा और जांच के लिए एक जांच प्रतिनिधिमंडल भेजने का ऐलान किया। तो वहीं, सत्तापक्ष भी ऐसी घटनाओं को प्रशासन और सरकार को बदनाम करने की साजिश मानता है।
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कवर्धा के लोहारिडीह गांव में रविवार को हुए इस बवाल की जड़ में एक जमीन विवाद है। दो पक्षों के झगड़े का बाद एक पक्ष व्यक्ति की लाश पेड़ से लटकी मिली, जिसकी हत्या के शक में आक्रोशित ग्रामीणों ने गांव के उप-सरपंच रघुनाथ साहू और उसके परिवार के 4 लोगों को बंधक बनाकर आग लगाने की कोशिश की, जिसमें पुलिस ने परिवार को तो बचा लिया। लेकिन, रघुनाथ साहू आग में जिंदा जल गए। भीड़ ने पुलिस पर हमला किया जिसके बाद पूरा गांव छावनी में तब्दील हो गया।
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यहां सवाल ये है कि, क्या ये घटना फिर तंत्र का फेलुअर है? पुलिस खुद मानती है कि घटना के पीछे बड़ा षड़यंत्र दिखता है, बलौदाबाजार के बाद, कवर्धा के जरिए पुलिस, प्रशासन, सरकार को बदनाम करने की साजिश दिखती है। सवाल ये है के ऐसी खूनी घिनौनी साजिश रचने हैं कौन और कब बेनकाब होंगे…?