अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन का सम्मेलन संपन्न

भिलाई । अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन का दुर्ग जिला सम्मेलन 23 नवंबर शनिवार को साहित्य परिसर सेक्टर 10 में संपन्न हुआ। सम्मेलन में दुर्ग, भिलाई के अलावा पाटन, गुंडरदेही, धमधा, कुम्हारी, चरोदा, अंजोरा के साथी शामिल हुए। आयोजन को मुख्य अतिथि देशबन्धु पत्र समूह के प्रधान संपादक ललित सुरजन ने अपने प्रेरक उदबोधन में कहा कि, शांति, एकता व सद्भावना की न केवल देश में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय जगत में महती आवश्यकता है। दुनिया के अनेक लोकतांत्रिक देश संकट में है। साम्राज्यवादी देश सैन्य बलों की ताकत पर निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने का लगातार प्रयास कर रही हैं। उन्होंने काश्मीर, उत्तरप्रदेश व महाराष्ट्र की अनेक गंभीर समस्याओं पर चर्चा की। बनारस वि.वि. में संस्कृत प्राध्यापक फिरोज खान की नियुक्ति को मुद्दा बनाकर आंदोलन करने पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया। 01 दिसंबर को रायपुर में होने जा रहे प्रादेशिक सम्मेलन व 3, 4, 5 जनवरी को रायपुर में संपन्न होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व मंत्री बदरूद्दीन कुरैशी ने संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण उदबोधन में कहा कि, चंदूलाल चंद्राकर के समय में इस तरह की वैचारिक गोष्ठियाँं हुआ करती थीं। आज बहुत दिनों बाद यादें ताजा हो गई। देश को आज गाँंधी जी की सदभावना की बड़ी जरूरत है, तभी फासिस्ट ताकतों से लड़कर लोकतंत्र को मजबूत बना सकते हैं। उन्होंने जवाहर लाल नेहरू के योगदानों का स्मरण किया।
विशिष्ट अतिथि प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष लोकबाबू ने बताया कि, पूर्व में वे शांति एवं एकता संगठन का काम करते रहे हैं। भिलाई-दुर्ग जिले में संगठन की जड़ें मजबूत है। साहित्य का लक्ष्य ही अंधेरे के खिलाफ लडऩा है। इसके पूर्व प्रगतिशील लेखक संघ भिलाई के अध्यक्ष व प्रांतीय संगठन मंत्री परमेश्वर वैष्णव ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का संचालन व अतिथियों का सारगर्भित परिचय जिला अध्यक्ष रवि श्रीवास्तव ने दिया। उन्होंने बताया कि, शांति व एकजुटता संगठन के 5 सौ सदस्य जिले भर में बनाए जा चुके हैं। आभार प्रदर्शन व अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी कामरेड विनोद सोनी ने दी। जिला सम्मेलन की सुचारू व्यवस्था को बनाए रखने का कार्य संगठन के सचिव वीरेन्द्र पटनायक ने किया।
इस अवसर पर विनोद सोनी, संतोष झांझी, मणिमय मुखर्जी, वीरेन्द्र पटनायक, मुमताज, शिशी कुमार श्रीवास्तव, पी.के. श्रीवास्तव, अंजना श्रीवास्तव, नवीन तिवारी, बुद्धिलाल पाल, समयलाल साहू, जावेद खान, अरूण ठक्कर, अनिता करमेकर, दुर्गा प्रसाद पारकर, बी.पोलम्मा, प्रदीप वर्मा, हाजी रियाज गौहर, अविनाश सिपाहा, प्रशांत कानस्कर, उज्जवल प्रसन्नो, सतेन्द्र देवांगन, डॉ.बी.पी. द्विवेदी, शेख निजाम राही, घनश्याम सोनी, राजनारायण श्रीवास्तव, रविशंकर कलौसिया, टी.एन. कुशवाहा, उमाशंकर मिश्रा, प्रतिभा श्रीवास्तव, सोनम बन्सोड़, प्रीति वासनिक, अमित श्रीवास्तव व आरूष की प्रेरणादायक उपस्थिति रही।