मशरूम उत्पादन पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न
कवर्धा, 07 फरवरी 2024। पौध रोग विज्ञान विभाग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के संयुक्त तत्वाधान में कवर्धा विकासखण्ड के बिरकोना ग्राम में अनुसूचित जाति उपयोजनांतर्गत 05 फरवरी से 07 फरवरी 2024 तक तीन दिवसीय प्रशिक्षण मशरूम उत्पादन विषय पर आयोजित किया गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि मशरूम प्रोटीन का एक अच्छा स्त्रोत है। इसमें 20-35 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा विद्यमान रहती है। इसमें विटामीन सी, विटामीन डी, पोटेशियम, फास्फोरस, सोडियम तथा सूक्ष्म मात्रा में लोहा भी पाया जाता है, जो मानसिक तनाव से ग्रसित मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। इसमें वसा, स्टार्च, कोलेस्ट्राल की मात्रा कम होती है। प्रशिक्षणार्थियों को मशरूम उत्पादन के सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक जानकारी प्रदाय किया गया। सभी 50 प्रशिक्षणार्थियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण ग्रहण करने के उपरांत प्रमाण-पत्र वितरित किया गया।
मशरूम उत्पादन के लिए लगने वाले आवश्यक सामाग्री –
पैराकुट्टी, गेहूॅ भूसा, धान भूसा, पॉलीथीन की थैलियॉ, नॉयलोन रस्सी, मशरूम बीज, प्लास्टिक ड्रम, बांस की टोकरी, गर्मपानी, बावस्टिन एवं फार्मोलिन की जानकारी दी गई। कृषकों को मशरूम उत्पादन के विस्तृत विधि में भूसे के उपचार, बीजाई, फसल प्रबंधन, तोड़ाई आदि के बारे में जानकारी दी गई। प्रशिक्षणार्थियों को बाताया गया कि मशरूम की पहली फसल बीजाई के 15-20 दिन प्राप्त होने लगता है। तथा 1 बैग से 2-3 बार फसल ले सकते है। मशरूम उत्पादन कर किसान अपने फसल अवशेषों का उपयोग कर सकते है तथा अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते है। 1 किलोग्राम मशरूम उत्पादन में लगभग 15-20 रूपये लागत आती है। जिसे आसानी से बाजार में 100-150 रूपए प्रति किलोग्राम की दर से बेच सकते है। उन्होंने मशरूम उत्पादन में आने वाले परेशानी अन्य फफूंदो का संक्रमण एवं चूहों से बचाव के उपायों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, के वैज्ञानिक डॉ. एन. नागपाले एवं डॉ. एच. के. सिंह एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा से वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. बी.पी. त्रिपाठी, इंजी. टी. एस. सोनवानी एवं श्री बी. एस. परिहार ने भाग लिया।