रायपुर। समाजवादी धारा के ख्यातिनाम साहित्यकार स्व.विजयदेवनारायण साही की जन्मशती वर्ष पर प्रेस क्लब हाल मोतीबाग रायपुर में सुप्रसिद्ध समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में देश के माने जाने साहित्यकारों , पत्रकारों, समालोचकों, कवियों सहित बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी और आम जन की सहभागिता उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुप्रसिद्ध समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने अपने विचारोतेजक वक्तव्य में स्व. विजय देवनारायण साही के कृतित्व और व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को कसौटियों पर कसते हुए बताया कि स्व. विजय नारायण देव की रचनाओं में सम्पूर्ण डा.राममनोहर लोहिया जीते थे। स्व.साही का बोलना डा. लोहिया को दोहराने जैसा था, आज भले ही लोहिया और विजय देव नारायण साही हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके कर्म की विकता भविष्य को प्रकाशित करती रहेगी। श्री ठाकुर ने कहा कि साहित्य और शोषितों का संगम जब जब हुआ है परिवर्तन और शोषण मुक्ति का का नया मार्ग बना है। स्व.साही की भाषा मानवता से इतनी गहरी जुड़ी हुई है जैसे वह सच्चे मानव जन्म की भाषा हो. स्व . साही की रचनाएं व उनके द्वारा छेड़े गए प्रसंग मानवता के सवाल है ,इसलिए मानवता की धरोहर है . प्रख्यात पत्रकार व व्यंगकार गिरीश उपाध्याय पंकज ने सारगर्भित संबोधन में स्व. विजयदेवनरायण साही को याद करते हुए कहा कि, साहित्य मौन को तोड़ता है, पूरी ईमानदारी से सच्चाई को सही अर्थों में जीने वाले स्व.साही ने इसे साबित भी किया है , और ईमानदारी के साथ समाजवाद को जीने वाले रघु ठाकुर की उपस्थिति , इसका आश्वासन है कि डा.लोहिया और स्व. साही की धारा आज भी जिंदा है, उम्मीद पूरी तरह से मरी नहीं है , साहित्यकारों की जिम्मेदारी है कि वे हर दशा में सही दिशा दे . स्व. साही ने मानवता वादी ,लोहियावादी होने के नाते जो किया और कहा वह मिसाल की तरह
सामने है। मध्यप्रदेश छिंदवाड़ा से पधारे अथिति विद्वान अनूप सिंह ने कहा कि, स्व,विजय साही की रचनाएं कर्तव्य का बोध कराते हुए शोषितों के लिए कुछ करने को प्रेरित करती है और रघु ठाकुर के अभियान बताते है कि भविष्य की बेहतरी के लिए बहुत कुछ करना अब भी शेष है। पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा ने आयोजको को बधाई और शुभकामना देते हुए कहा कि, पुरोधा लोगो को याद करने का काम सराहनीय है, यह सेतु कल से आज को जोड़ता है। पूर्व कुलपति जगदीश उपासने ने स्व.साही की रचनाओं को समग्र मानवता की वाणी बताते हुए कहा कि पुरखो के विचार और कर्म अमूल्य है जिन्हे सहेज कर रखने से ज्यादा उसे साथ लेकर चलने की जरूरत है, उन्होंने कहा कि, यह सच है कि जिस लोहिया को हम सुनते थे आज वह संवेदनशीलता नही बची है अतीत की सहृदयता की बुलंदी की तुलना में आज कुछ भी नही है लेकिन स्व.साही की रचनाएं प्रेरणा स्रोत के रूप में हमारे सामने है स्व.साही के व्यक्तित्व के गहरे विश्लेषण के साथ नया रास्ता निकलने की सख्त जरूरत है। वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध ने स्व. साही की रचनाओं को काल का बिम्ब बताते हुए साहित्यकारों को इस औजार को और माजने पर बल देते हुए कहा कि, समय का सही आंकलन और समाधान वक्त की मांग है। वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु द्विवेदी स्व.साही की रचनाओं को समाजवाद से जोड़ते हुए कहा कि, समय बदल रहा है, विचार प्रवाह का पूर्ण होना आज की जरूरत है , स्व. साही ने जो देखा , उसे सजोया और भविष्य के लिए दिया वह उल्लेखनीय है, हरिभूमि, स्व विजय देव नारायण साही जन्मशती वर्ष में हर माह उनके साहित्य का प्रकाशन करेगा। स्व. साही के शिष्य रहे अशोक तोमर , पत्रकार शिव शर्मा ,सरिता आदि ने भी स्व. साही को भावपूर्ण याद करते हुए अपने विचार रखे। कार्यक्रम के आरंभ के स्व. विजय देव नारायण साही के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई, कार्यक्रम का सफल संचालन प्रोफेसर जयंत तोमर और आभार व्यक्त श्री अशोक किया। इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से मातामणि तिवारी, रवि भोई, गुरुदयाल बंजारे, पुष्पा वर्यलानी, योगेश वर्यलानी, कौशल शर्मा, गिरीश वोरा, अजयभान सिंह पंकज व्यास, श्रीमती पंकज व्यास, श्याम मनोहर ,श्रीमती श्याम मनोहर, चंद्रशेखर चतुर्वेदी, आर पी मिश्र, शिव नेताम, रामसिंह क्षत्री, सोमनाथ साहू, दसराम बंजारे, फेंकन सिंह, सुदामा मिश्र, जगदेव साहू, इमरान पाशा, नियाज़ , निजाम, आदि की गरिमामय उपस्थिति उल्लेखनीय रही।