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भागवत भक्ति ज्ञान वैराग्य का समुच्चय-हिमान्शु महाराज

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लोरमी-श्रीमदभागवत प्रचार समिति हनुमान मंदिर गान्धीडीह लोरमी के तत्वावधान मे दिनांक 29अक्टूबर से 06नवम्बर 2022तक आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ हनुमान मंदिर गान्धीडीह से मा महामाया मंदिर सारधा गौरासागर तक बाजे गाजे ढोल नगाड़े वाद्य यंत्रो और कीर्तन मंडलियो की मधुर ध्वनियो तथा जयकारे के साथ हुआ।कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कथावाचक डाक्टर पंडित सत्यनारायण तिवारी हिमान्शु महाराज ने भागवत को भक्ति ज्ञान और वैराग्य का समुच्चय बतलाया।उन्होने भारतीय संस्कार और संस्कृति को विश्व की सबसे प्राचीन और श्रेष्ठ संस्कृति बतलाते हुए भगवान के चौबीस अवतारो का विशद वर्णन किया।डाक्टर तिवारी ने भागवत के रचयिता व्यास द्वारा एक वेद से चार वेद छह शास्त्र और अठारह पुराणो की रचना की जानकारी भी दी।मुख्य कथा श्रोता राजर्षि परीक्षित के प्रश्न समस्त जीवो का प्रश्न तथा परमहंस शुकदेव जी द्वारा बारह स्कन्धो के अठारह हजार श्लोको मे वर्णित उत्तर यावत प्राणीमात्र के कल्याण का कोष है।भागवत जीवन संहिता के साथ ही मोक्ष ग्रन्थ भी है।डाक्टर तिवारी ने आगे कहा कि समस्त जीवो को मातृ ,पितृ एवं राष्ट्रभक्ति की शिक्षा भागवत मे दी गई है।भागवत मे सृष्टि के प्रथम मनु शतरूपा के दो पुत्र प्रियव्रत और उत्तानपाद तथा तीन पुत्रिया क्रमशः आकुति, देवहूति तथा प्रसूति तीन पुत्रिया हुई।देवहूति और कर्दम के यहा एक पुत्र कपिलनारायण तथा नौ बेटियो के जन्म का वर्णन है।दक्ष के यहा सोलह कन्याओ के जन्म की बाते हमारी सनातन संस्कृति मे अनादिकाल से बेटियो के प्रति स्नेह और आदर के भाव का दिग्दर्शन कराता है।भागवत मे तन के साथ ही साथ मन की निर्मलता का वर्णन स्वच्छता के प्रति जागरूकता का प्रतीक है तथा प्राचीन गुरूकुल की शिक्षा आत्मनिर्भर तथा स्वावलंबन के संकल्प का द्योतक दिग्दर्शन हो रहा है।उक्त अवसर पर पंडित कृष्ण कुमार तिवारी,नीरज तिवारी, रामजी निषाद, गोकुल सिह, रामप्रसाद, गौरीशंकर, कमलसिह, बलदाऊ सिह, हरिसिंह ,सरवनसिह, झाडूराम, संतोष निषाद,धर्मेंद्र सिंह, छोटू सोनी तथा सैकड़ो श्रद्धालु भागवत मंच मे उपस्थित थे।01नवम्बर प्रह्लाद चरित्र, 02नवम्बर श्रीकृष्ण जन्म, 03नवम्बर श्री रूख्मणी विवाह 04नवम्बर सुदामा चरित्र 05नवम्बर परीक्षित मोक्ष चढोत्री तथा 06नवम्बर को गीता प्रवचन, हनुमान चालीसा का पाठ, तुलसी वर्षा,हवन, कुमारी पूजन, ब्राम्हण भोजन, आशीर्वाद और भंडारे का आयोजन किया गया है।

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